रांची। झारखंड के जमशेदपुर क्षेत्र में शनिवार को सैकड़ों ग्रामीणों की पुलिस से भिंड़त हो गई। गांव वाले सरायकेला-खरसावां और पूर्वी सिंहभूम जिले में कई लोगों के मारे जाने का विरोध रहे थे। मारे गए इन लोगों पर बच्चों की चोरी करने का संदेह था।
पुलिस को गांव वालों से निपटने के लिए लाठीचार्ज और आंसूगैस का भी प्रयोग करना पड़ा। राज्य में पिछली रात ‘बच्चा चोर’ की अफवाह के चलते कई लोगों की जान गई थी। सबसे ज्यादा मौतें जमशेदपुर क्षेत्र के बाद बोकारो और धनबाद जिलों में दर्ज की गई हैं।
पिछले दो माह में उत्तेजित भीड़ ‘बच्चा चोर’ होने के संदेह में कई लोगों पर हमला कर चुकी है, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई और कई को गंभीर चोटें आईं।
गुरुवार को, सरायकेला-खरसावां जिले के राजनगर गांव और पूर्वी सिंहभूम जिले के बागबेरा क्षेत्र में ‘बच्चा चोर’ होने की अफवाह के चलते हुई अलग-अलग घटनाओं में सात लोगों की मौत हो चुकी है।
झारखंड सरकार प्रत्येक पीड़ित को दो लाख रुपए की क्षतिपूर्ति राशि देने की घोषणा कर चुकी है। पिछले हफ्ते, सरायकेला-खरसावां जिले में इसी तरह के आरोप में तीन लोग मारे गए थे।
अप्रैल में, बोकारो जिले के चंद्रापुर में ‘बच्चा चोर’ होने के संदेह में गांव वालों ने शमसुद्दीन अंसारी को बुहत ही बुरी तरह पीटा था। बाद में उसकी गंभीर चोटों के चलते मौत हो गई थी।
राज्य के कई अन्य जिलों से भी ‘बच्चा चोर’ होने के संदेह में जानलेवा हमले की घटनाएं बढ़ने की खबरें आई हैं।
दुर्भाग्यवश, पुलिस इन घटनाओं की मात्र मूकदर्शक बनी रही और इन सभी घटनाओं में गांव वालों की भीड़ के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई करने से बचती रही।
कई मौकों पर मध्यस्थता करने के कारण पुलिस को लोगों के क्रोध का सामना करना पड़ा और इस दौरान कई पुलिसकर्मियों को गंभीर चोटें आईं और उत्तेजित भीड़ ने उनके वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया।
झारखंड पुलिस ने लोगों से इस तरह की किसी भी अफवाहों पर ध्यान न देने का अनुरोध किया है। राज्य पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक आर.के. मलिक ने कहा कि झारखंड में किसी भी बच्चे को किसी ने नहीं चुराया गया है। ये केवल अफवाहें हैं। इस तरह की अफवाहों को फैलाने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।