मुंबई। विशेष टाडा अदालत ने शुक्रवार को 1993 के मुंबई में हुए श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट के मामले में माफिया डान अबु सलेम सहित छह लोगों को दोषी करार दिया, जबकि एक आरोपी को दोषमुक्त करार दिया।
लोक अभियोजक दीपक साल्वे ने कहा कि दोषी पाए गए आरोपियों में पुर्तगाल से 2005 में प्रत्यर्पित कर लाया गया माफिया डॉन अबु सलेम, मुस्तफा दोसा, मोहम्मद ताहिर मर्चेट उर्फ ताहिर टकला, करीमुल्लाह खान, रियाज सिद्दीकी और फिरोज अब्दुल राशिद खान शामिल हैं। मुस्तफा दोसा को संयुक्त अरब अमीरात से प्रत्यर्पित कर लाया गया है।
साल्वे ने मीडिया से कहा कि एक अन्य प्रमुख आरोपी अब्दुल कयूम को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया। फिल्म स्टार संजय दत्त के घर हथियार और गोला-बारूद पहुंचाने में कयूम ने सलेम का साथ दिया था। कयूम को 13 फरवरी, 2007 को गिरफ्तार किया गया था।
उन्होंने कहा कि विशेष टाडा अदालत के न्यायाधीश जीए सनप ने अगली सुनवाई की तारीख 19 जून तय की है। इस दिन विशेष अदालत दोषियों के लिए सजा तय करने पर बहस की तारीख तय करेगी।
दोषी ठहराए गए सभी आरोपी और दोषमुक्त किया गया आरोपी, सभी विशेष न्यायाधीश सनप के समक्ष उस समय मौजूद थे, जब खुली अदालत में फैसला सुनाया गया।
सलेम पर हथियार व गोलाबारूद सहित आरडीएक्स की आपूर्ति का आरोप था, जिसका विस्फोट में इस्तेमाल किया गया था।
आरोपियों को व्यक्तिगत तौर पर या संयुक्त तौर पर प्रमुख आरोपों के लिए दोषी करार दिया गया। इसमें साजिश रचने, आतंक, हथियार व गोला-बारूद की आपूर्ति करने, हत्या, सार्वजनिक व निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप शामिल हैं। यह विस्फोट 13 जगहों पर किए गए थे, जिसमें 257 लोगों की मौत हुई थी।
साल्वे के अनुसार, यह श्रृंखलाबद्ध विस्फोट छह दिसंबर, 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस के बदले के तौर पर किया गया था। विध्वंस के बाद मुंबई में दिसंबर 1992 व जनवरी 1993 में दो चरणों में खूनी सांप्रदायिक दंगे हुए थे।
अभियोजनन पक्ष ने कहा कि दाऊद गिरोह के सदस्यों ने अपने स्थानीय गुंडों टाइगर मेनन, दोसा भाइयों व अन्य के साथ मिलकर मुंबई में आतंकी कृत्य की साजिश रची थी।
इनके तीन नापाक इरादे थे, जिसमें भारत सरकार को आतंकित करना, लोगों के बीच आतंक फैलाना, आम जन के बीच सांप्रदायिक फूट डालकर समाज के एक वर्ग अलग-थलग करना था।
अपने घृणित कृत्यों को अंजाम देने के लिए साजिशकर्ताओं ने घातक हथियार व गोलाबारूद, डेटोनेटर्स, हथगोले, करीब तीन टन घातक आरडीएक्स (रिसर्च एंड डेवलेपमेंट विस्फोटक या साइक्लोट्राइमेथलीन ट्राईनाइट्रामीन) का इस्तेमाल किया था। इसका इस्तेमाल द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पहली बार इतने बड़े पैमाने पर किया गया था।
इससे पहले इसी मामले में विशेष टाडा अदालत ने 100 आरोपियों को दोषी करार दिया था। इसमें याकूब अब्दुल रजाक मेनन भी शामिल था, जिसे 30 जुलाई, 2015 को फांसी दी गई।
फिल्म अभिनेता संजय दत्त को आतंकवाद के आरोपों से बरी किया गया, लेकिन उन पर शस्त्र अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया गया और दोषी करार दिया गया था। संजय दत्त ने अपनी पूरी सजा काटी और उन्हें फरवरी 2016 में जेल से रिहा किया गया।
13 साल तक चली लंबी सुनवाई के अंत में सितंबर 2006 में 12 आरोपियों को मौत की सजा सुनाई गई थी, जिसमें से 10 की सजा को सर्वोच्च न्यायालय ने आजीवन उम्रकैद में बदल दिया था। अन्य 20 आरोपियों को उम्र कैद की सजा दी गई थी।