नई दिल्ली। ऑकलैंड (न्यूजीलैंड) में भारत-जिम्बाब्बे के बीच शनिवार को हुआ पूल बी का मैच सात सिख क्रिकेट प्रेमी कृपाण धारण करने की वजह से नहीं देख पाए। आईसीसी ने सुरक्षा नियमों का हवाला देते हुए उन्हें स्टेडियम में घुसने नहीं दिया।
इस मामले में अब न्यूजीलैंड सुप्रीम सिख काउंसिल आईसीसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई पर विचार कर रही है। न्यूजीलैंड की समाचार वेबसाइट द न्यूजीलैंड हेराल्ड की खबर के मुताबिक ईडन पार्क में भारत-जिम्बाब्बे मैच देखने गए करमजीत सिंह, दलजीत सिंह, करमजित सिंह, त्रिलोक सिंह, प्रभदीप सिंह और दो अन्य साथियों को स्टेडियम अधिकारियों ने कृपाण पहने हुए भीतर जाने की इजाजत नहीं दी।
इस मामले में सुप्रीम सिख काउंसिल के अध्यक्ष दलजित सिंह ने वेबसाइट से कहा कि आईसीसी के इस फैसले से न्यूजीलैंड का सिख समुदाय नाखुश है। अब काउंसिल क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था के खिलाफ कानूनी कार्रवाई पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारे समुदाय के 500 लोगों ने सेमीफाइनल मुकाबलों के पहले से ही टिकट खरीद रखे हैं। अब चिंता यह है कि उन्हें मैच देखने की इजाजत नहीं मिलेगी।
दूसरी तरफ, आईसीसी के प्रवक्ता फिलिप क्लार्क का कहना है कि क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था कृपाण को चाकू मानती है। लिहाजा इसे पहने हुए किसी भी क्रिकेट स्टेडियम में घुसने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि हमारे टिकट में स्पष्ट लिखा है कि किसी तरह के चाकू के साथ स्टेडियम में प्रवेश नहीं मिलेगा। क्लार्क ने कहा कि जांच के दौरान सात क्रिकेट प्रेमी कृपाण धारण किए मिले। जब इन्होंने कृपाण उतारने से मना कर दिया तो इन्हें प्रवेश नहीं दिया गया। हां, इनके टिकट का रिफंड दे दिया गया।
उधर, न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री जॉन की का मानना है कि इस मामले में आईसीसी गलत है। उसे सिखों को कृपाण धारण करके विश्वकप मैच देखने की इजाजत देनी चाहिए।
न्यूजीलैंड की एक समाचार वेबसाइट की खबर के मुताबिक की ने सोमवार को कहा कि आईसीसी को इस मामले में स्पष्ट नियम बनाने चाहिए कि न्यूजीलैंड के क्रिकेट मैदानों में क्या चीज लाई सकती है, क्या नहीं। उन्होंने कहा कि यह आईसीसी का टूर्नामेंट है, लिहाजा हम उन्हें निर्देश नहीं दे सकते।
साथ ही, प्रधानमंत्री की ने इस बात के भी संकेत दिए कि उनकी सरकार न्यूजीलैंड के मौजूदा नागरिक उड्डयन प्राधिकरण नियमों को बदल सकती है। ऐसा होने से सिख विमानों में कृपाण धारण कर यात्रा कर सकेंगे।