अहमदाबाद। गुजरात उच्च न्यायालय ने गुरुवार को राज्य सरकार और नगर पुलिस की अपराध शाखा को उस याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें पटेलों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर चलाए जा रहे आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल के खिलाफ राजद्रोह के मामले को चुनौती दी गई है।
न्यायाधीश जेबी पार्दीवाला ने गुजरात सरकार और नगर पुलिस की अपराध शाखा के सहायक पुलिस आयुक्त के एन पटेल को हार्दिक और उसके सहायकों अल्पेश कठीरिया और अमूल पटेल की याचिकाओं को निरस्त करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान नोटिस जारी किया।
उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के अधिकारियों को अल्पेश और अमूल के खिलाफ अगली सुनवाई दबावकारी कदम नहीं उठाने का निर्देश दिया। मामले पर अब दो नवंबर को सुनवाई होगी।
नगर पुलिस की अपराध शाखा ने 21 अक्तूबर को हार्दिक और पाटीदार अनामत आंदोलन समिति पास के अन्य सदस्यों चिराग, दिनेश, केतन, अल्पेश और अमरीश पटेल के खिलाफ राजद्रोह और राज्य सरकार के खिलाफ जंग छेडऩे का आरोप लगाया था।
हालांकि, पास नेता अमूल पटेल का नाम प्राथमिकी में आरोपी के तौर पर नहीं था लेकिन टैप की गई फोन पर बातचीत में उसका नाम है। उसने अपनी गिरफ्तारी की आशंका के मद्देनजर अपराध शाखा की कार्रवाई को चुनौती दी है।
छह लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 121 सरकार के खिलाफ जंग छेडऩे, धारा 124 राजद्रोह, धारा 153-ए समुदायों के बीच शत्रुता फैलाना, और धारा 153-बी के तहत मामला दर्ज किया गया है।
अपराध शाखा ने हार्दिक और पांच अन्य के खिलाफ दर्ज अपनी प्राथमिकी में कहा है कि युवा नेता ने कथित तौर पर अपने समुदाय के लोगों को गुजरात सरकार के खिलाफ जंग छेडऩे के लिए हिंसक साधन अपनाने को उकसाया।
पास नेताओं के खिलाफ कथित तौर पर हिंसा को उकसाने की शिकायत 25-26 अगस्त को दर्ज की गई थी जब 25 अगस्त को यहां हार्दिक की विशाल रैली के बाद कई जिलों में हिंसा फैल गई थी।
हार्दिक के खिलाफ राजद्रोह का यह दूसरा मामला है। पहला मामला सूरत पुलिस ने पटेल युवाओं को आत्महत्या करने की बजाय पुलिसकर्मियों की हत्या करने की कथित तौर पर सलाह देने को लेकर दर्ज किया गया था। 22 वर्षीय हार्दिक और उसके तीन सहायक राजद्रोह के एक अन्य मामले में नगर पुलिस की अपराध शाखा की हिरासत में हैं।