
सलमान खान की ‘टाइगर जिंदा है’ देखने उमड़ रही भीड़

अगर आप है एडवेंचर के शौक़ीन है तो एक बार ज़रूर जाये ग्लास ब्रिज

आज के समय में चाइना को टेक्नोलॉजी और प्रोडक्शन के मामले में हमारे देश से काफी आगे माना जाता है। आज हम आपको एक ऐसे ब्रिज के बारे में बताने जा रहे है जो पिछले दिनों काफी चर्चा का विषय रहा है। ये ब्रिज बहुत ही गहरी खाई के ऊपर बना हुआ है, जिसके कारण इसके ऊपर चलने में बहुत डर लगता है, जिन लोगो को एडवेंचर का शौक है उन्हें इस पुल पर ज़रूर जाना चाहिए। आइए जानते है इस ब्रिज से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे।ये ब्रिज समुद्र तल से लगभग 4,600 फीट ऊपर बना है, जिसके ऊपर से नीचे गहरी खाई नज़र आती है, इस ब्रिज को तियानमेन माउंटेन पर बनाया गया है जिसकी लम्बाई 100 मीटर और चौड़ाई 1.6 मीटर है।
अगर आप ग्लास ब्रिज पर पैदल चलते है तो आपको अपने पैरों के नीचे लगा कांच दरकता हुआ सा महसूस होता है, और अगर आप यहाँ दौड़ने की कोशिश करेंगे तो कांच ही चिंदी-चिंदी होकर नीचे धंसने लगता है, जसिकी वजह से इस ब्रिज पर चलने में बहुत डर लगता है, दरअसल, कांच का टूटना और धंसना सिर्फ नज़रो का एक धोखा है, ग्लास ब्रिज में कांच की दो पर्तें लगायी गयी है, जब लोग इसपर चलते है तो कांच दरकने और धंसने लगता है लेकिन वो टूटता नहीं है।
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बंगाल टाइगर बंगाल में ही नहीं बल्कि इस जगह भी देखने जा सकते हैं
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क्या आप रात में उठकर छत की तरफ टकटकी लगाए यह सोचते रहते हैं कि अलार्म की घंटी बजने से पहले कुछ आराम कर लिया जाए? क्या आप सोते वक्त करवटें बदलते रहते हैं? क्या आप सुबह उठते वक्त थकान महसूस करते हैं?
क्या आपने किया है कभी ‘हैंगिंग ट्रैन’ का सफर

आजतक आपने कई बार ट्रैन का सफर किया होगा, लोगो को कही भी घूमने जाना होता है तो वो ट्रैन में ही जाना पसंद करते है, ट्रैन से हरी भरी वादियों को देखने का मजा कुछ अलग ही होता है, पर क्या अपने आज तक उलटी चलने वाली ट्रैन का सफर किया है, आज हम आपको एक ऐसी ट्रैन के बारे में बताने जा रहे है जो उलटी चलती है, ये उलटी ट्रैन जर्मनी में चलती है जिसे हैंगिंग ट्रेन के नाम से जाना जाता है। जर्मनी हमेशा से ही अपनी हाई टेक्निक और खूबसूरती के लिए मशहूर है, जिसका जीता जगता साबुत हैंगिंग ट्रैन है, इस ट्रेन की सबसे खास बात ये है की इसके टायर नीचे की जगह उपर की और लगे है जिसकी वजह से ये उल्टी नज़र आती है, इस हैंगिंग ट्रेन में रोज लगभग 82 हजार से भी अधिक यात्री सफर करते है,100 सालों से चलते हुए इस ट्रैन का एक्सीडेंट बस एक ही बार हुआ है, उलटी चलने वाली ट्रैन के ट्रैक की लंबाई 13.3 कि.मीटर है. ये ट्रेन 20 स्टेशन पर रूकती है जिन्हे सिर्फ इसी ट्रैन के लिए बनाया गया है, इस ट्रेन को इसलिए बनाया गया था की लोग पहाड़ी पर आराम से सफर कर सके, पहाड़ियों पर जमीन पर ट्राम या अंडरग्राउंड ट्रैन चलने में असुविधा होती इसलिए कुछ इंजीनियरों ने पहाड़ों पर हैंगिंग ट्रेन चलाने का फैसला किया।
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अद्भुत हैं उज्जैन की वेधशाला के यंत्र

मध्यप्रदेश में उज्जैन की वेधशाला अदभुत है तथा इसके यंत्र जबरदस्त हैं। वर्तमान के अत्याधुनिक जमाने में समय देखने के लिए दीवार पर बनी प्राचीनतम घड़ी से सूर्य के प्रकाश एवं छाया से समय की गणना की जाती है। इसमें 20 सेकंड तक का समय सही-सही देखा जा सकता है। नाड़ी वलय यंत्र, भित्ति यंत्र, दिगंश यंत्र, टेलीस्कोप, तारा मण्डल आदि सभी ग्रह एवं नक्षत्रों की स्थिति की सही-सही जानकारी देते हैं। वेधशाला में स्थापित नाड़ी वलय यंत्र सूर्य द्वारा पृथ्वी के उत्तरीय गोलार्द्ध एवं दक्षिणी गोलार्द्ध की ओर जाने की स्थिति दर्शाता है। जिधर सूर्य होता है, उस हिस्से में धूप होती है। भित्ति यंत्र के द्वारा ग्रह एवं नक्षत्रों की भूमध्य रेखा से झुकाव की स्थिति का अध्ययन किया जाता है। यह बताता है कि ग्रह भूमध्य रेखा से कितने उत्तर-दक्षिण में हैं तथा कितने झुकाव पर हैं। वेधशाला में वर्षामापक, तापमान मापक, आर्द्रता मापक तथा हवा की दिशा एवं तीव्रता बताने वाले यंत्र भी लगे हुए हैं, जो कि सही-सही जानकारी देते हैं। वेधशाला स्थित तारा मण्डल के विशेष शो के माध्यम से आकाश में ग्रह, नक्षत्र, तारों, आकाशगंगा आदि की गति एवं स्थिति को देखा और यहां पर कई प्रकार के शो के द्वारा ग्रहों, नक्षत्रों एवं आकाशीय पिण्डों की स्थिति एवं गति को खूबसूरती के साथ प्रदर्शित किया जाता है।
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