नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को झटका देते हुए 2006 में उत्तर प्रदेश के नोएडा में निठारी सिलसिलेवार हत्याकांड के आरोपी सुरेंद्र कोली को बरी करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं बुधवार को खारिज कर दीं।
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा तथा न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की 14 अपीलें खारिज कर दी। पीठ ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कोली को बरी करने के आदेश के निष्कर्षों में कोई कमी नहीं है।
उच्च न्यायालय ने भी इस मामले में बहुत ही लापरवाही से जांच करने के लिए सीबीआई की आलोचना की थी। ये मामले दिसंबर 2006 में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लगभग 20 किलोमीटर दूर निठारी नामक एक छोटे से गांव में तब सामने आए जब नोएडा के एक नाले में कई कंकाल मिले। जांच के जांच एजेंसियों ने दावा किया था ये नर कंकाल थे।
शीर्ष अदालत ने साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के संबंध में इस केंद्रीय जांच एजेंसी की पड़ताल में गंभीर खामियों पर गौर किया और उसकी गुहार ठुकरा दी। पीठ ने सीबीआई की इस दलील को खारिज कर दिया कि उच्च न्यायालय ने कोली को बरी करने के अपने फैसले में गलती की थी।
अदालत ने यह भी कहा कि केवल उन्हीं बरामदगी को परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित मामले में साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जा सकता है, जो केवल अभियुक्तों की पहुंच वाले स्थान से ली गई होंं। सीबीआई ने पिछले साल 14 अपीलें दायर करके शीर्ष न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और कोली को बरी करने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी। इस मामले में मोनिंदर सिंह पंढेर तथा उसके घरेलू सहायक कोली पर उत्तर प्रदेश के निठारी में अपने पड़ोस के लोगों, खासकर बच्चों के साथ दुष्कर्म और हत्या का आरोप था।
विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश पवन कुमार तिवारी ने जुलाई 2017 में अपने फैसले में पंढेर और कोली को पिंकी सरकार नाम की 20 वर्षीय महिला की हत्या का दोषी ठहराया और उनके क्रूर और शैतानी अपराध के लिए उन्हें मौत की सजा सुनाई थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जनवरी 2015 में कोली की दया याचिका पर निर्णय में अत्यधिक देरी के कारण उसकी मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था।
उच्च न्यायालय का यह फैसला तत्कालीन उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (बाद में शीर्ष अदालत के मुख्य न्यायाधीश पद से सेवानिवृत्त) और न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल (अब सेवानिवृत्त) की पीठ ने पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (पीयूडीआर) द्वारा दायर एक याचिका पर फैसला सुनाया था।
उच्च न्यायालय ने पिछले साल अक्टूबर में निठारी हत्याकांड से जुड़े कुछ मामलों में पंढेर और कोली को बरी कर दिया था और निचली अदालत द्वारा उन्हें दी गई मृत्युदंड की सजा को पलट दिया था। उच्च न्यायालय ने कोली को 12 मामलों में और पंढेर को दो मामलों में बरी कर दिया था, जहां निचली अदालत ने उन्हें पहले हत्या के लिए दोषी ठहराया और मृत्युदंड की सजा सुनाई थी।
सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गत आठ जुलाई को शीर्ष न्यायालय को बताया था कि कोली एक सीरियल किलर था जो कम उम्र की लड़कियों को बहला-फुसलाकर उनकी हत्या करता था। उन्होंने कहा कि ये हत्याएं वीभत्स थीं। उन्होंने पीठ को बताया कि सुरेंद्र पर नरभक्षी होने के आरोप लगे थे। इसके लिए निचली अदालत ने उस मृत्युदंड सुनाया था, लेकिन पिछले साल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उस फैसले पलट दिया था।