नई दिल्ली। भारत ने पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा दिए जाने वाले ऋण के समय पर कड़ी आपत्ति जताई है और कहा है कि वर्तमान भू-राजनीतिक माहौल के कारण उसे ऋण जारी करने का यह उचित समय नहीं है।
सरकारी सूत्रों ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत सैद्धांतिक रूप से आईएमएफ से पाकिस्तान को कर्ज दिए जाने का विरोधी नहीं है, लेकिन वर्तमान भू-राजनीतिक माहौल के कारण उसे ऋण सहायता देने का यह सही समय नहीं है। सूत्रों ने कहा कि भारत-पाकिस्तान सीमा पार तनाव है और ऐसे में उसे इस तरह की वित्तीय सहायता के रणनीतिक निहितार्थों पर हमें चिंता है। सरकार में उच्च पदस्थ सूत्र ने कहा कि हम पाकिस्तान को आईएमएफ से विकास निधि मिलने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन सीमा की स्थिति के कारण यह इसका सही समय नहीं था।
सूत्र ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी हाल की मिलान (इटली) यात्रा से पहले आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा को औपचारिक रूप से इस बारे में भारत की चिंता से अवगत कराया था। सीतारमण ने विदेश यात्रा के दौरान जर्मनी, इटली और फ्रांस के वित्त मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय चर्चाएं की थी और पाकिस्तान को आईएमएफ के ऋण सहायता पैकेज पर भारत की आपत्तियों को दोहराया था।
भारत ने आईएमएफ के अधिशासी बोर्ड की बैठक में पाकिस्तान को कर्ज देने के प्रस्ताव पर मतदान का बहिष्कार किया था। सूत्रों ने कहा कि भारत ने आईएमएफ को पुराने आंकड़ों की पर गौर करने का संकेत दिया था और कहा था कि विगत में जब जब पाकिस्तान को आईएमएफ से वित्तीय मदद मिली, तब-तब उसने हथियारों की खरीद बढ़ाई है।
सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान अपने सामान्य बजट का औसतन लगभग 18 प्रतिशत रक्षा मामलों और सेवाओं पर खर्च करता है, जबकि लड़ाई और संघर्ष से प्रभावित देशों का औसत सैन्य बजट इसकी तुलना में कम (10-14 प्रतिशत) है। पाकिस्तान को विशेषकर 1980 से 2023 के दौरान जब जब आईएमएफ से वित्तीय मदद मिली, उन वर्षों में उसके हथियार आयात में औसतन 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई है।
सूत्र ने कहा कि इस बार, आईएमएफ ने पाकिस्तान को कर्ज जारी करने के लिए असामान्य रूप से कड़ी राजकोषीय शर्तें लगाई हैं, जिसमें उसे वर्ष 2025-26 का संघीय बजट जून तक तैयार करने को कहा गया है। सूत्र ने कहा कि आईएमएफ ने पाकिस्तान पर बजट से संबंधित कई शर्तें लगाई हैं जो आमतौर पर नहीं लगाई जाती हैं। सूत्रों ने कहा कि आईएमएफ सहायता रोके जाने के बारे में भारत के प्रयासों का उद्देश्य तनाव के बीच पाकिस्तान को कर्ज जारी करने के जोखिमों को चिह्नित करना था।