एक महीने में सहकारिता के एक अधिकारी बर्खास्त जबकि दो निलंबित

जयपुर। राजस्थान के सहकारिता मंत्री गौतम कुमार दक की सहकारिता में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति का असर दिखने लगा हैं तथा विभाग अब एक्शन मोड में आ गया हैं और एक महीने में ही विभाग के एक अधिकारी को बर्खास्त जबकि दो अधिकारी निलंबित किया गया हैं।

दक के निर्देश पर अतिरिक्त रजिस्ट्रार सीनियर स्केल जयपुर श्यामलाल मीणा को गत नौ फ़रवरी को निलंबित किया गया। निलंबन अवधि में मुख्यालय जोधपुर रखा गया हैं। श्यामलाल पर कोटा दाल मिल, कोटा नागरिक सहकारी बैंक, सीकर में व्यवस्थापकों की स्क्रीनिंग में भ्रष्टाचार का आरोप, धोद में नई मार्केटिंग यूनिट के गठन में नियमों की अवहेलना का भी आरोप हैं।

इसी प्रकार 31 जनवरी को सहकारिता सेवा के उप रजिस्ट्रार कृष्ण कुमार मीणा को निलम्बित कर दिया गया है। मीणा को जालोर केंद्रीय सहकारी बैंक में प्रबंध निदेशक के पद पर रहते हुए अवैध लेनदेन के मामले में निलम्बित किया गया है,वर्तमान में वह उप रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां, जयपुर शहर के पद पर कार्यरत था। सबूतों के साथ प्रस्तुत शिकायत पर प्रारम्भिक जांच के उपरांत निलम्बित कर दिया गया है। जांच के लिए ज़िला कलेक्टर जालोर को निर्देशित किया गया है।

जनवरी में ही उप रजिस्ट्रार बजरंग लाल झारोटिया को सरकार ने बर्खास्त कर दिया है। सरकार ने यह कार्रवाई अदालत के आदेश के बाद की है, जिसमें झारोटिया को चार साल कैद की सजा सुनाई गई थी। झारोटिया को एसीबी ने वर्ष 2006 में रिश्वत के मामले में गिरफ्तार किया था। उस समय वह दी उदयपुर सैन्ट्रल कॉ-आपरेटिव बैंक लिमिटेड के प्रबंध निदेशक था।

इस मामले में विशिष्ठ न्यायालय, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम उदयपुर ने गत वर्ष 22 मार्च को आदेश दिया। आदेश में बजरंग लाल झारोटिया को दोषी मानते चार वर्ष के साधारण कारावास व 20 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई। वर्तमान सरकार आते ही झारोटिया को बर्खास्त कर दिया गया। कुछ दिनों पहले दक ने सहकारी बैंकों की समीक्षा बैठक ली थी, उसमें अधिकारियों को नियमों से काम करने एवं भ्रष्टाचार पर सख़्त चेतावनी दी थी।