आबूरोड में रेलवे करवा रही नाला सफाई तो कहां गए पच्चीस लाख

आबूरोड में गंदगी से अटा पड़ा गांधीनगर का नाला, जिस जॉन के लिए नगर पालिका ने दिया था 25 लाख का टेंडर।

सबगुरु न्यूज – आबूरोड। आबूरोड नगर पालिका का सफाई ठेका एक रहस्य बनता जा रहा है। इतनी अनियमितता दिखने के बाद कांग्रेस नगर संगठन की चुप्पी और भी बडी रहस्य है। नगर पालिका आबूरोड के द्वारा जारी की गई नाला सफाई की निविदा और फील्ड के हालात देखेंगे तो यहां सफाई के नाम पर खजाने की सफाई की हिडन एजेंडे को पहचानना मुश्किल नहीं होगा। आबूरोड के जिस दूसरे जोन के बीस वार्डों के नालों की सफाई के लिए करीब 25 लाख रुपये खर्चने की योजना बनाई उस जोन के सबसे बडे नाले की सफाई व्यवस्था देखने के बाद ये स्पष्ट हो जाएगा की सफाई ठेकों की आड में यहां पर आखिर हो क्या रहा होगा।

आबूरोड में गांधीनगर के नाले को सफाई करते रेलवे के ठेकेदार।

-रेलवे की जेसीबी करती दिखी सफाई

आबूरोड का सबसे बडा नाला है गांधीनगर का। ये नाला हाइवे के पास गणेश कॉलोनी से शुरू होकर रेलवे लाइन के नीचे होते हुए राजा कोठी तक जाता है। ये नाला वार्ड संख्या 21 से 40 तक के जोन में पडता है। इसकी लम्बाई ज्यादा से ज्यादा एक किलोमीटर है। कुछ जगहों पर चौडाई ज्यादा हैं। नाला रेलवे और नगर पालिका की कॉलोनी को विभाजित करता है। ऐसे में इसका काफी हिस्सा रेलवे में आता है। नगर पालिका द्वारा पच्चीस लाख रुपये में इसकी सफाई भी करवाई जानी थी। लेकिन, नगर पालिका वाला हिस्सा कचरे से अटा पडा है।

इस नाले के रेलवे लाइन के सहारे चलने वाले करीब दो सौ मीटर के हिस्से की शनिवार को जेसीबी से सफाई हो रही थी। पता किया तो जानकारी मिली कि ये सफाई भी नगर पालिका नहीं रेलवे करवा रही है। कांग्रेस पार्षद शमशाद अली ने आरोप लगाया है कि नाला सफाई के ठेके का पैसों का भुगतान कर दिया गया है। इसके बाद भी इस जोन का सबसे बडे नाला कचरे से अटा हुआ है या रेलवे सफाई करवा रही है तो इसके लिए भुगतान किए गए पैसों का क्या हुआ होगा ये जांच का विषय है।

– निविदा की शर्तों में अंतर बता रहा है क्या हुआ

नगर पालिका के द्वारा नवम्बर 2024 में पांच जोन में नालों की सफाई का ठेका दिया था। ये ठेका करीब डेढ करोड रुपये सालाना का था और इसमें भी नालों-नालियों की सफाई का क्लॉज था। वहीं अप्रेल 2025 की नालों की सफाई की निविदा भी हाथ लगी है। जिसमें आबूरोड शहर को बीस-बीस वाडों के दो जोनों में बांटकर प्रत्येक जोन के लिए 24 लाख 90 हजार रुपये का ठेका दिया गया। इन दोनों ठेकों की शर्तें में कुछ अंतर है। ये अंतर एक बात की तरफ इशारा कर रहा है। वो ये कि पहले ठेके में भी नालों की सफाई करवानी थी दूसरे में भी। कांग्रेस पार्षद शमशाद अली के आरोप का यही आधार लगता है कि एक ही काम के लिए दो बार ठेका और भुगतान किया गया है।

दूसरा ये कि पहले पांच जोन के ठेके में कर्मचारियों की संख्या खोली गई है दूसरे में नहीं। मतलब इसमें जेसीबी का उपयोग किया जा सकता है। लेकिन, गांधीनगर के नाले के दोनों और मकानों के निर्माण को देखकर स्पष्ट नजर आता है कि इसके करीब आठ सौ मीटर तक की लम्बाई में जेसीबी घुसना लगभग नामुमकिन है। शमशाद अली ने इन्हीं शर्तों के अंतर के आधार पर नालों की सफाई जेसीबी से करवाने में जेसीबी की ज्यादा दरें देने का आरोप लगाया है। उनका ये भी आरोप है कि नगर पालिका आबूरोड के द्वारा पहले ही कोटेशन के आधार पर जेसीबी किराए पर ली जाती है। इनकी दरों में भी अंतर है।