एक माला और कार में पायलट और लोढा, हुई सुगबुगाहट

आबूरोड में सचिन पायलट को माला पहनाते कार्यक्रम संयोजक रशीद खान और उनके सहयोगी।

परीक्षित मिश्रा
सबगुरु न्यूज-आबूरोड। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट गुरुवार को सिरोही जिले में पहुंचे। उदयपुर से पिण्डवाडा में प्रवेश करने के बाद उनका कई जगह स्वागत हुआ। लेकिन, आबूरोड में स्वागत के साथ जनसभा भी हुई। लेकिन, इस सभा में सिरोही जिले के गहलोत गुट के नेता संयम लोढा और पायलट की गाडी में और मंच में एक माला में दिखे।
यूं सभा का आयोजन जिले में पायलट गुट के राशिद खान ने ही किया था लेकिन, संयम लोढा ने सुबह अपने एक्स अकाउंट पर जो पोस्ट की वो उनकी ओर से बर्फ को पिघलाने की कोशिश का संदेश देती नजर आई। लोढा ने गुरुवार सवेरे सचिन पायलट के सिरोही जिले के दौरे की पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए लिखा कि सिरोही जिले में आपका हार्दिक स्वागत एवं अभिनंन्दन। उन्होंने पोस्ट में लिखा कि सभी कांग्रेस साथियों से निवेदन है कि अधिक से अधिक संख्या में भाग लेकर दौरे को सफल बनाएं।
सचिन पायलट जनवरी में भी सिरोही विधानसभा से होते हुए निकले थे। उस दौरान उनके उदयपुर जाते हुए शिवगंज और सूत्रों के अनुसार सिरोही के हाइवे पर स्वागत का इंतजाम फालना के कांग्रेस नेता सोमेंद्र गुर्जर ने किया था। उस दौरान लोढा की ही विधानसभा में लोढा समर्थकों को इस हाइवे स्वागत में कम ही देखा गया था। पायलट के साथ लोढा की फिर से नजदीकियों ने सभा स्थल में ही काग्रेस के स्थानीय नेताओं में भी इस चर्चा को गर्म कर दिया कि या तो गहलोत और पायलट वाकई करीब आ गए हैं या फिर प्रदेश में दो धु्रवीय कांग्रेस में पायलट का धु्रव फिर से प्रभावशाली होने की स्थिति में आ चुका है। कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं में इस आश्चर्य की ये वजह रही कि रिसाॅर्ट पालिटिक्स के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में सचिन पायलट के खिलाफ सबसे ज्यादा बयानबाजी करने वाले नेता थे लोढा।
-कभी हुआ करते थे करीब
2018 के विधानसभा चुनावों के पहले जब सचिन पायलट कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे तब इस तरह की सभाओं को आयोजन उनकी अगुवाई में हुआ करता था। सिरोही के खण्डेलवाल छात्रावास की सभा हो या सरूपगंज की। दोनों सभाओं में संयम लोढा की सक्रियता रही। लेकिन, फिर आया विधानसभा चुनाव। तमाम सक्रियता के बाद भी लोढा का कांग्रेस का टिकिट कट गया और ये टिकिट उनके ही करीबी और जिलाध्यक्ष जीवाराम आर्य को मिल गया। संयम लोढा निर्दलीय चुनाव लडकर जीते। उस समय दो आरोप लगे। एक ये कि संयम लोढा का टिकिट कटने में सचिन पायलट की भूमिका रही दूसरा आरोप ये कि संयम लोढा ने ही खुद एक सोची रणनीति के तहत ये किया। निर्दलीय चुनाव जीतने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से उनकी करीबी बढ गई।
– गहलोत काल में पीडित भी नजर आए
प्रदेश के अन्य जिलों की तरह सिरोही जिले में भी अशोक गहलोत के मुख्यमंत्रीत्व काल में पायलट गुट के नेता जमकर प्रताडित हुए। सिरोही में तत्कालीन जिलाध्यक्ष जीवाराम आर्य हों या फिर जालोर में रानीवाडा के विधायक रतन देवासी और भीनमाल विधायक समरजीत सिंह। अशोक गहलोत के शासनकाल में ये आरोप लगा कि इनके उत्पीडन की बाकायदा प्लानिंग होती थी। इसमें टूल बनते थे अधिकारी। पायलट या इनके समर्थकों के काम होना तो दूर की बात रानीवाडा, माउण्ट आबू और भीनमाल में तो सरकारी मशीनरी पर इनके बनते हुए काम बिगाडने के भी आरोप लगते रहे। पायलट के साथ ये तीनों नेता भी नजर आए।

इसका खामियाजा अशोक गहलोत को भुगतना भी पड़ा। वो देश के संभवतः ऐसे पहले मुख्यमंत्री की श्रेणी में शामिल हो गए होंगे जो अपनी सत्ता रहते हुए इतने विश्वस्त बीत बैंक और समर्थक नहीं बना पाए जो उनके पुत्र को जिता सकें। जालोर से लोकसभा चुनावों में खड़े हुए उनके पुत्र वैभव गहलोत को अशोक गहलोत द्वारा पनपाई गया गुटबाजी के कारण दूसरी बार बुरी हार मिली। अपनी खुदकी जाति के जिस समीकरण के कारण उन्होंने वैभव गहलोत को इस सीट प चुनाव लड़वाया था उन बूथों पर भी वोट नहीं मिले।

आबूरोड में सभा स्थल के पास कर से उतरते सचिन पायलट और साथ खड़े संयम लोढ़ा।

– कांग्रेस नेता कर पाएंगे अमल
यहां हुई जनसभा में सचिन पायलट, समरजीतसिंह, रतन देवासी, संयम लोढा, लीलाराम गरासिया आदि कांग्रेस के नेताओं ने दो बातें कही। एक एक जुटता की। दूसरी जनता को भाजपा के उत्पीडन के लिए सडकों पर उतरना। लेकिन, जिले में जो हालात कांग्रेस के हैं उसके अनुसार इस पर अब तक तो अमल होता नजर नहीं आया। जिस आबूरोड में वो ये बात कह रहे थे वहीं कांग्रेस दो धडे है। यहां कांग्रेस का गहलोत गुट हावी है और इनमें भी लोढा व डांगी गुट के बीच वर्चस्व की लडाई है।
वोट चोर गद्दी छोड अभियान में दोनों ही गुट अपनी अपनी ढपली बजा रहे हैं। एक अपनी बैठक में दूसरे को तो दूसरा पहले को नहीं बुलवा रहा।

शहर में भाजपा के बोर्ड का भ्रष्टाचार चरम पर है कांग्रेस भाजपा की ही गोद में बैठी हुई मुंह में दही जमाए और पांव में मेहंदी जमाए बैठी हुई है। इन नेताओं के प्रति कांग्रेस के ही पार्षदों और कार्यकर्ताओं में इतना अविश्वास हो चुका है कि वो भी इनकी बैठकों में जाने से परहेज करते हैं। जिले में पिण्डवाडा में कांग्रेस की हालत बदतर है। सिरोही विधानसभा को छोडकर किसी विधानसभा में सत्ता के खिलाफ आवाज उठाती हुई कांग्रेस नजर नहीं आ रही है।
राहुल गांधी के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम को लेकर हालात ये थे कि 14 अगस्त को तो जिलाध्यक्ष केन्द्रीय संगठन की ओर से वोट चोर गद्दी छोड अभियान के मशाल जुलूस के लिए जिला संगठन प्रशासन से अनुमति भी नहीं ले पाए। इस कार्यक्रम के लिए जिला मुख्यालय पर एकत्रित कांग्रेस के नेता डाक बंगले और अहिंसा सर्किल पर काफी देर यूं ही भटके। फिर खुद ही ने निर्णय करके अम्बेडकर सर्किल पर ये कार्यक्रम किया।

सचिन पायलट के दौरे के दौरान रजवाड़ा पुल पर बेतरतीबी से खड़े हुए कारगेट के कारण लगा जाम।

– बेतरतीब वाहन खडे करने से जाम
सचिन पायलट सभा स्थल से निकलकर पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत रेवदर के विधायक मोतीराम कोली के यहां जाने के लिए निकले। रास्ते में तरतौली मोड पर कांग्रेस नेता की नई-नई दुकान पर रुक गए। उनके पीछे पीछे उनके कारगेट और साथ के नेताओं ने इसी बेतरतीबी से वाहन खडे कर दिए। आगे पुल होने की वजह से इस रास्ते के शेष वाहन इनकी वजह से रुक गए। यहां पर जाम लग गया।
– हत्थे लगे जेबतराशी के संदिग्ध
सभा स्थल पर काफी भीड थी। ऐसे में यहां पर जेब तराशों की भी टोली आ चुकी थी। सभा स्थल में काफी लोगों की जेबें कटी। इसी दौरान कुछ जेबकतरों को कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पकड लिया। ऐसे ही पांच संदिग्ध युवकों को पकडकर पुलिस के हवाले किया गया।