देवनानी के फैसले उनके पद की गरिमा एवं निष्पक्षता की कसौटी पर नहीं उतरते खरे : अशोक गहलोत

जयपुर। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने कहा है कि विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी द्वारा लगातार ऐसे फैसले किए जा रहे हैं जो इस पद की गरिमा एवं निष्पक्षता की कसौटी पर खरे नहीं उतरते हैं।

गहलोत ने शनिवार को अपने बयान में यह बात कही। उन्होंने कहा कि पहले देवनानी ने कांग्रेस के छह विधायकों को निलंबित किया। इसके बाद पहली बार ऐसा हुआ कि मीडिया में आईं अपुष्ट खबरों को लेकर सदन में चर्चा की तथा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा पर उनकी अनुपस्थिति में अवांछित टिप्पणी की जो जनमत का अपमान थी।

उन्होंने कहा कि गत मई को अंता से भारतीय जनता पार्टी विधायक को तीन साल कारावास की सजा होने के बावजूद 17 दिन बीत जाने पर भी उनकी सदस्यता रद्द नहीं की गई है जबकि लिली थॉमस केस में उच्चत्तम न्यायालय के स्पष्ट निर्देश हैं कि सांसद या विधायक को दो वर्ष की सजा होने पर उनकी सदस्यता सजा सुनाए जाने वाले दिन से ही रद्द हो जाएगी।

उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व सांसद एवं वर्तमान विधायक नरेन्द्र बुढ़ानिया को गत 30 अप्रैल को विशेषाधिकार समिति का अध्यक्ष बनाया गया एवं अब केवल 15 दिन बाद ही विशेषाधिकार समिति के अध्यक्ष के पद से हटा दिया गय। इन समितियों के अध्यक्ष का कार्यकाल सामान्यत: कम से कम एक वर्ष का होता है। ऐसा विधानसभा में संभवत: पहली बार हुआ है कि 15 दिन में ही अध्यक्ष बदला गया हो।

अशोक गहलोत ने कहा कि देवनानी द्वारा किए गए ऐसे फैसले उनकी निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लगाते हैं। उन्हें इन फैसलों पर पुनर्विचार कर विधानसभा की परंपराओं के अनुरूप एवं विधिसम्मत कार्य करना चाहिए।