अयोध्या निखर रही, राममंदिर की भव्यता अवर्णनीय : उमाशंकर

अजमेर। अयोध्या में श्री राम प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के उपलक्ष्य में अजमेर के आयोद पार्क में सजाई गई अयोध्या नगरी में चल रही 100 अरब हस्तलिखित श्रीराम नाम महामंत्र परिक्रमा महोत्सव में सोमवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक उमाशंकर ने पहुंचकर धर्मलाभ लिया।

परिक्रमाके पश्चात रामभक्तों को संबोधित करते हुए उन्होंने अयोध्या में श्रीराम प्राण प्रतिष्ठा को लेकर चल रहे विभिन्न कार्यों तथा वहां के विलक्षण वातावरण और तैयारियों के परिदृृश्य से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि अजमेर का यह कार्यक्रम भी उन्हीं गौरवपूर्ण क्षणों का साक्षी बन रहा है। इस समय देशभर में जो वातावरण है वह अदभुत है। भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है।

उन्होंने कहा कि दुनिया में हमारा भारतवर्ष ही एकमात्र देश है जहां एक ही नस्ल यानी सनातनी एक साथ 100 करोड से अधिक संख्या में रहते हैं। शेष दुनियां इस्लाम व ईसाईयत को मानने वालों में बंटी हुई है। आजादी के बाद हमारे इतिहास को भुलाया गया, हमें भरमाने के प्रयास किए जाते रहे। लेकिन 1925 में डा हेडगेवार ने संघ की स्थापना की। इसके बाद जो मौन साधना अनवरत चली उसने सोए हुए सनातनियों को जगाने का कार्य किया। विश्व हिन्दू परिषद का गठन हुआ। बजरंग दल अस्तित्व में आया।

कलंक मिटने में लगे साढे पांच सौ साल

साढे पांच सौ साल से चल रहे राम जन्म भूमि आंदोलन का राजनीतिक स्तर पर कोई हल नहीं निकलता देख 1990 में कारसेवा का कार्यक्रम बना, मगर उत्तरप्रदेश व केन्द्र की तत्कालीन सरकार ने विभिन्न तरीके से रोडे अटकाए इसके बावजूद लक्ष्य पर अटल कार सेवक अयोध्या पहुंच ही गए। इस दौरान कई कारसेवकों की निर्मम हत्या कर दी गई।

आखिरकार 1992 की कारसेवा में बाबर के कलंक को कारसेवकों ने ध्वस्त कर दिया। इस दौरान श्रीराम के विग्रह को तनिक भी हानि नहीं पहुंची। कारसेवकों ने ढांचे के मलबे तक को वहां नहीं रहने दिया। दुखद बात है कि तब के प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव ने यहां तक कह दिया कि बाबरी ढांचे को तोडा गया जो उचित नहीं है। उन्होंने हिन्दुओं का आतंकी तक कह दिया।

हिन्दू समाज का जागराण हुआ, इस बीच तीन सरकारें आई और गईं। लेकिन हिन्दू तय कर चुका था कि राम मंदिर हर हाल में बनेगा। उसे भरोसा था अदालत का फैसला पक्ष में आएगा। यहीं हुआ भी। आज अयोध्या निखर रही है। श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण हुआ। सभी 22 जनवरी को अपने घरों में दीपोत्सव मनाएं, मंदिरों को सजाएं।

गोरक्षा, कृष्ण जन्मभूमि, काशी विश्वनाथ ज्वलंत मुद्दे

उन्होंने सुखद संदेश देते हुए कहा कि इससे पहले हम अयोध्या बलिदान देने को जाते थे पर अब भव्य मंदिर में विराजे रामलला के दर्शन करने जाएंगे। उन्होंने कहा कि अब भी गोरक्षा, कृष्ण जन्मभूमि, काशी विश्वनाथ जैसे कई ज्वलंत मुद्दे हैं, इनके समाधान के लिए हमें संगठित और सजग रहना होगा तभी समाधान होगा। संतों के बताए गए कार्यक्रम को पूरा करने के लिए हम सभी को प्रयास करने होंगे।