नई दिल्ली। सरकार ने स्पष्ट किया है कि ‘संचार साथी’ ऐप का प्रयोग अनिवार्य नहीं है और सुविधा के अनुसार इसका उपयोग किया जा सकता है। यदि कोई उपभोक्ता इसे नहीं चाहता तो वह अपने मोबाइल पर इसे आसानी से डिलीट कर सकता है।
संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लोकसभा में बुधवार को एक पूरक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी देते हुए कहा कि इस ऐप को 2025 में तब शुरु किया गया जब सरकार को बड़ी संख्या में मोबाइल फोन से हो रही धोखाधड़ी की शिकायतें जनता की तरफ से मिलीं।
सरकार ने जनता की शिकायतों के आधार पर उनकी समस्या के निराकरण के लिए यह कदम उठाया है। इसके जरिए नागरिक खुद को ऑनलाइन फ्रॉड से सुरक्षित रख सकते है और जो इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहे वे इसे डिलीट करने के लिए स्वतंत्र हैं।
सिंधिया ने कहा कि 20 करोड से ज्यादा लोग इसका उपयोग कर रहे हैं और उनकी तरफ से इसे लेकर बहुत सकारात्मक प्रतिक्रिया आ रही है। जनता की सहभागिता से ही यह ऐप लाया गया है और यह जनता को ऑनलाइन फ्रॉड से बचाने के लिए जरूरी है।
इस ऐप की मदद से और संचार साथी पोर्टल के जरिये अब तक लाखों लोगों के गुम हुए मोबाइल उन्हें उपलब्ध कराए गए हैं। इसकी सहायता से ही फ्रॉड करने वालों से आम लोगों को बचाने के लिए छह लाख मोबाइल कनेक्शन ब्लॉक किए जा चुके हैं। इस ऐप से जनता को बहुत सुविधा हो रही है।
उन्होंने कहा कि यह ऐप मोबाइल पर है लेकिन जब तक उपभोक्ता उसे नहीं चाहेगा तब तक ऐप सक्रिय नहीं होगा और इसके इस्तेमाल के लिए नागरिक स्वतंत्र है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जनता से जो शिकायत मिलती है उसके आधार पर सरकार काम करती है और इसी सिद्धांत के तहत इस ऐप से उपभोक्ता को सुरक्षित मोबाइल उपयोग सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।



