अजमेर। संसार में किसी भी शुभ कार्य होने से पूर्व श्रीगणेश जी महाराज का पूजन और वंदन किया जाता है ताकि सभी कार्य शुभ मंगलमय में हो जाएं। भगवान गणेश बुद्धिमान है एवं प्रथम वंदनीय हैं।
ये बात गुलाब बाड़ी स्थित तेजाजी मंदिर परिसर में चल रही शिव महापुराण कथा के दौरान शिव पार्वती और गणेश प्रसंग पर कथा करते हुए रामस्नेही संप्रदाय भागवत भूषण युवा संत उत्तम राम शास्त्री ने कही। उन्होंने कहा कि जब भगवान शिव ने गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया तब मां पार्वती विलाप करने लगी। वे भगवान शंकर से विनय करने लगीं। तब भगवान शंकर ने अपनी माया से धड़ पर हाथी का सिर लगाया और कहा कि आज से इस संसार में यह गजानंद के नाम से पूजा जाएगा।
सुंदर बालक को देखकर मां पार्वती बड़ी प्रसन्न हुई इस दौरान भगवान शिव ने बालक को गले से लगाया। मां पार्वती ने गजानन का श्रृंगार किया। भगवान शिव ने कहा हर कार्य में गणेश का प्रथम पूजन होगा। सभी देवताओं में सबसे अग्रणी श्रीगणेश होंगे। भगवान गजानंद जी ने जब मां पार्वती और शिव का आसन लगाकर उनकी परिक्रमा की। तब भगवान शंकर ने कहा जिस भी घर में माता-पिता बड़े बुजुर्गों का सम्मान व भाई बहनों में स्नेह नहीं होगा तो भगवान गणेश की पूजा सफल नहीं होगी। तभी से इस संसार में माता-पिता को संसार का देवता माना गया है। बिना माता-पिता के इस संसार में कोई भी नहीं आ सकता।
भगवान गणेश रिद्धि सिद्धि और बुद्धि के दायक हैं। इसलिए भगवान गजानन की पूजा अर्चना बहुत जरूरी है। भगवान गणेश के जन्म पर संसार के सभी देवी देवता बड़े प्रसन्न हुए। सभी देवताओं में अग्रणीय भगवान गणेश का वंदन किया गया। इस दौरान भजन गायकों ने एक से भजन की प्रस्तुति देकर माहौल को भक्तिमय कर दिया। आरती के पश्चात प्रसाद वितरण किया गया।