संसार में शिव की महिमा अपरंपार है : संत उत्तम राम शास्त्री

अजमेर। श्रावण मास के अवसर पर गुलाब बाड़ी स्थित तेजाजी की देवली में चल रही शिव महापुराण कथा के दौरान संत उत्तमराम शास्त्री ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि शक्ति, बल और साधन की जगह साधन ही काम करते हैं। अगर मनुष्य में बुद्धि है तो कठिन से कठिन काम बुद्धि और विवेक से शीघ्र पूरा कर लेते हैं। भगवान गणेश बुद्धि और विवेक के कारण प्रथम पूजनीय और वंदनीय बने।

महाराज ने श्रीगणेश विवाह प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया कि विश्वरूप की दो कन्या रिद्धि और सिद्धि के साथ भगवान से उनका विवाह करवाया। इस दौरान जब कार्तिककेय आए तो उन्होंने कहा मां मैने तो कर्म किया है। कर्म बड़ा है या बुद्धि बड़ी है। अतः मां ने कहा कि कर्म बड़ा है परंतु वह बुद्धि के साथ किया जाए तो उसका फल सौगुणा मिलता है।

जब कार्तिकेय ने कहा कि मां आपको गणेश अति प्रिय है, तब मां ने कहा कि पूरा दक्षिण तुम्हारी पूजा करेगा। इस दौरान ब्रह्माजी ने इस संदर्भ में कहा कि मल्लिकार्जुन प्रथम ज्योतिर्लिंग है। इसकी महिमा बड़ी है। अमावस्या का मतलब मल्ली अर्थात अर्जुन शिव और पार्वती के संयुक्त रूप से ही विराजमान रहते हैं। अमावस्या को जो इसका दर्शन करते हैं उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं।

कथा के दौरान सुमित योगी ने भगवान राम और सीता की अनुपम झांकी सजाकर श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया। कथा का वातावरण श्रीराम में हो गया। इस दौरान राजगढ़ के प्रसिद्ध भजन गायक बंटी राव ने भगवान शिव के एक से बढ़कर एक भजनों की प्रस्तुति दी। उन्होंने भगवान शिव की महिमा में भोलेनाथ की जय, जय भोले जय भंडारी मेरी झोपड़ी के भाग आज खुल जाएंगे आदि भजनों की प्रस्तुति दी। मुख्य जजमान ने भगवान की आरती की और श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया।