अजमेर। हिंदू सनातन धर्म के समस्त धार्मिक तीर्थ स्थल और पूजा के स्थान वंदनीय हैं। यह साधना और प्रभु के साक्षात दर्शन करने की स्थल हैं। ऐसे स्थानों पर रील बनाने, फोटोग्राफी करने, मौज मस्ती करने तथा तपोस्थल को गंदा करने से महादोष लगता है। ऐसा करने वाला पापी नरक को जाता है। इसलिए श्रद्धालुओं को श्रद्धा, विश्वास, सेवा, पूजा और आराधना के लिए ही धार्मिक स्थल पर जाना चाहिए। ये स्थान रोमांस करने या पिकनिक स्पॉट नहीं है।
ये बात रामस्नेही संप्रदाय के युवा संत भागवत भूषण संत उत्तम राम शास्त्री ने बुधवार को गुलाब बाड़ी स्थित तेजाजी की देवली मंदिर परिसर में लच रही शिव महापुराण कथा के दौरान श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने बताया कि विंध्याचल पर्वत ने शिव की पूजा की। प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने कहा कि हे विंध्य, मैं शिवालय रूप में विद्यमान रहूंगा। साक्षात ओंकारेश्वर और भीमाशंकर रूप में निवास करूंगा और भक्तों की इच्छा पूरी करूंगा। भक्ति और मुक्ति दूंगा जो जैसा चाहेगा उसे वैसा ही मिलेगा। उसकी कामना पूर्ण होगी।
महाराज ने केदारनाथ भगवान की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान भोलेनाथ 6 महीने मनुष्य के लिए और 6 महीने देवताओं के लिए ही केदारनाथ में उपलब्ध रहते हैं। भगवान भोलेनाथ स्वयं साधना करते हैं। केदारनाथ भगवान की महिमा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि जब लोगों ने केदारनाथ धाम पर होटल बना ली, गंगा में दूषित वस्तु डालने लगे, मंदिर परिसर और बाहर अश्लील और भद्दा वातावरण बनाने लगे तो मां गंगा क्रोधित हो गई।
मां ने कहा जिसने मुझे अपने मस्तक पर धारण किया, जिसकी सारा संसार पूजा करता है उनकी मनुष्य उनका अपमान कर रहा है। आखिर मां गंगा ने विकराल रूप धारण कर तबाही मचाई और न जाने कितने पापियों का संहार कर अपने साथ बहा ले गई। महाराज ने कहा कि तीर्थ स्थलों का सम्मान करें, क्योंकि तीर्थ स्थल ही हमारे मन, तन और आत्मा को पवित्र करते हैं।
इस दौरान महाराज ने कथा में कई मार्मिक प्रसंग सुनाकर माहौल भक्तिमय कर दिया। बंटी राव ने एक से एक बढ़कर भजनों की प्रस्तुति दी। कृष्ण राधा और रुक्मणी की मनमोहक झांकी सजाई गई। प्रवक्ता ने बताया कि महाराज की श्रीमद् भागवत कथा बद्रीनाथ धाम में 22 सितंबर से 3 अक्टूबर तक होगी। कथा के पश्चात आरती कर श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया। 25 जुलाई को महाकाल की नगर भ्रमण यात्रा 11 बजे गुलाबबाड़ी से निकाली जाएगी।