अमरीकी विधि विभाग की वेबसाइट से 16 एप्स्टीन केस फाइल गायब

वाशिंगटन। अमरीकी विधि विभाग की वेबसाइट के उस विभाग से कम से कम 16 फाइलें गायब हो गई हैं, जहां फाइनेंसर जेफरी एप्स्टीन के मामले से संबंधित दस्तावेज प्रकाशित किए गए थे।

अमरीकी विधि विभाग ने शनिवार को कांग्रेस में डेमोक्रेटिक पार्टी और कई रिपब्लिकन सांसदों के समर्थन से पारित एक कानून के तहत एप्स्टीन मामले की कुछ सामग्री जारी की थी। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एप्स्टीन के साथ संबंध होने का संदेह है, हालांकि अभी तक कोई विशिष्ट सबूत पेश नहीं किया गया है कि अमरीकी नेता बच्चों के यौन शोषण में शामिल थे।

एक रिपोर्ट के अनुसार गायब फाइलों में नग्न महिलाओं की पेंटिंग की तस्वीरें शामिल थीं। साथ ही एक ऐसी तस्वीर भी गायब है जिसमें एक ड्रेसर और दराजों पर रखी तस्वीरों की एक श्रृंखला दिखाई गई थी, जिसमें एप्स्टीन, मेलानिया ट्रंप और एपस्टीन की लंबे समय तक सहयोगी रही घिसलेन मैक्सवेल के साथ ट्रंप की एक तस्वीर भी शामिल थी।

गौरतलब है कि एप्स्टीन पर 2019 में संयुक्त राज्य अमरीका में ‘सेक्स ट्रैफिकिंग’ और अपराध करने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था, जिसमें उसे 40 वर्षों से अधिक की जेल का सामना करना पड़ सकता था।

अभियोजकों के अनुसार 2002 और 2005 के बीच एपस्टीन ने दर्जनों नाबालिग लड़कियों के साथ यौन संबंध बनाए, जिन्हें उसने न्यूयॉर्क और फ्लोरिडा में अपने आवासों पर बुलाया था। वह उन्हें नकद भुगतान करता था और फिर कुछ पीड़ितों को और लड़कियों को लाने के लिए रिक्रूटर्स के रूप में नियुक्त करता था। कुछ पीड़ितों की उम्र मात्र 14 वर्ष थी।

जुलाई 2019 की शुरुआत में न्यूयॉर्क शहर की एक मैनहट्टन अदालत ने एप्स्टीन की पेशी के बाद उसे हिरासत में रखने का आदेश दिया और जमानत देने से इनकार कर दिया था। उसी वर्ष जुलाई के अंत में यह बताया गया कि एप्स्टीन जेल की एक सेल में आधी-बेहोशी की हालत में पाया गया था और बाद में उसकी मौत हो गई थी। जांच में निष्कर्ष निकाला गया कि उसने आत्महत्या की थी।

एप्स्टीन मामले में जनता की दिलचस्पी तब फिर से बढ़ गई जब ट्रंप प्रशासन वादे के मुताबिक फाइलों को सार्वजनिक करने में विफल रहा। अमरीकी राष्ट्रपति की आलोचना तब और तेज हो गई जब फेडरल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) और विधि विभाग ने कहा कि एप्स्टीन ने प्रभावशाली व्यक्तियों को ब्लैकमेल नहीं किया था और न ही कोई क्लाइंट लिस्ट रखी थी, जबकि अटॉर्नी जनरल पाम बोंडी ने इसके विपरीत दावा किया था।