नई दिल्ली। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत के ‘आपरेशन सिंदूर’ पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर के बयान को उनकी पार्टी के कुछ नेता पचा नहीं पा रहे हैं, जबकि पार्टी ने आतंकवादियों के अड्डों पर भारत की सीमित और सधी कार्रवाई के बाद सरकार को पूरे समर्थन की घोषणा की थी।
थरूर ने पनामा में एक वक्तव्य में पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर भारत की सैन्य कार्रवाई का जोरदार तरीके से बचाव करते हुए कहा कि यह भारत की वर्तमान सरकार ही है जिसके समय में पाकिस्तान की शह पर काम करने वाले आतंकियों के खिलाफ सर्जिक्रल स्ट्राइक की गयी है। उन्होंने कहा कि भारत का यह मिशन एक जरूरी और नपी-तुली कार्रवाई थी और यह युद्ध का आह्वान नहीं थी।
ऑपरेशन सिंदूर के कारण और उसके संदर्भों आदि के बारे में भारत का दृष्टिकोण समझाने के लिए पक्ष-विपक्ष के विभिन्न दलों के सांसद और सदस्यों के कई दल दुनिया के अलग-अलग देशों और क्षेत्रों में भेजे गए है। इनमें एक दल का नेतृत्व थरूर कर रहे हैं।
लोक सभा में तिरुवनंतपुरम सीट का प्रतिनिधि कर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री थरूर पर कटाक्ष करते हुए कांग्रेस के नेता और पूर्व सांसद उदित राज ने उन्हें भाजपा का प्रवक्ता कह डाला। उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, काश! मैं पीएम मोदी को आपको भाजपा का सुपर प्रवक्ता घोषित करने के लिए मना लेता, यहां तक कि भारत आने से पहले विदेश मंत्री घोषित कर देता। थरूर के नेतृत्व में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल आतंकवाद को रत्ती भर भी सहन न करने भारत के आह्वान और संदेश लेकर पनामा पहुंचा है।
गत 22 अप्रैल को आतंकवादियों द्वारा पहलगाम में 26 महिलाओं के माथे से सिंदूर मिटा दिए जाने की दर्दनाक घटना का हवाला देते हुए थरूर ने कहा कि भारत की प्रतिक्रिया सावधानीपूर्वक, सटीक तरीके से और सोच-समझकर आतंकवादी ठिकानों पर हमला करना था- यह हमला नागरिक, सैन्य या सरकारी ठिकानों को पूरी तरह से टालते हुए किया गया था। उन्होंने कहा कि ये आतंकवादी आए और उनके माथे से सिंदूर मिटा दिया। वास्तव में कुछ महिलाएं थीं जो रोते हुए आतंकवादियों से कह रही थीं कि मुझे भी मार दो और उन्होंने कहा कि नहीं! वापस जाओ और बताओ कि तुम्हारे साथ क्या हुआ।
सिंदूर के रंग और आतंकवादियों के खून के बीच एक समानता को दर्शाते हुए थरूर ने कहा कि हमने उस चीख को सुना और भारत ने फैसला किया कि सिंदूर का रंग, हमारी महिलाओं के माथे पर सिंदूर का रंग भी हत्यारों, अपराधियों, हमलावरों के खून के रंग से मेल खाता है। संयम के प्रति भारत की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए थरूर ने कहा कि हमारी सरकार ने बहुत स्पष्ट रूप से कहा था, बिना किसी संदेह के हम संघर्ष बढ़ाना नहीं चाहते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी पाकिस्तानी सैन्य, सरकारी या नागरिक लक्ष्य पर हमला नहीं किया गया।
कांग्रेस नेता उदित राज ने थरूर से सोशल मीडिया के जरिए पूछा कि वह यह कहकर कांग्रेस की गौरवशाली विरासत को कैसे खारिज कर सकते हैं कि पीएम मोदी से पहले भारत ने कभी एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पार नहीं किया। राज ने कहा कि 1965 में भारतीय सेना ने कई जगहों पर पाकिस्तान में प्रवेश किया, जिससे लाहौर सेक्टर में पाकिस्तानियों को पूरी तरह से आश्चर्य हुआ।
1971 में भारत ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए थे और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान कई सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी, लेकिन राजनीतिक लाभ के लिए ढोल नहीं पीटा गया। जिस पार्टी ने आपको इतना कुछ दिया, उसके साथ आप इतने बेईमान कैसे हो सकते हैं?
इससे पहले भारतीय दल के पनामा पहुंचने पर राजदूत डॉ. सुमित सेठ और वहां भारतीय मिशन के अन्य अधिकारियों ने हवाई अड्डे पर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी से स्वागत किया। प्रतिनिधिमंडल ने पनामा की संसद की अध्यक्ष डाना कास्टानेडा से भी मुलाकात की, जिनके साथ संसद के वरिष्ठ सदस्य एडविन वर्गारा और जूलियो डे ला गार्डिया भी थे। थरूर ने उन्हें अपने दल की इस यात्रा के प्रयोजन के बारे में बताया। पनामा के नेताओं ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को समझा और इसमें भारत को पूरा समर्थन देने का मजबूत आश्वासन दिया।