बेंगलूरु। कर्नाटक में कांग्रेस विधायक और कर्नाटक शहरी जल आपूर्ति एवं जल निकासी बोर्ड के अध्यक्ष विनय कुलकर्णी ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी नेता योगेश गौड़ा की 2016 की हत्या के मामले में सांसदों और विधायकों के लिए विशेष अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण किया।
कुलकर्णी ने उच्चतम न्यायालय द्वारा उनकी जमानत को रद्द करने और उन्हें एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश देने के बाद यह कदम उठाया है। अदालत में आत्मसमर्पण करने के बाद उन्हें केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की हिरासत में भेज दिया।
गौरतलब है कि तत्कालीन जिला पंचायत सदस्य योगेश गौड़ा की 15 जून, 2016 को धारवाड़ में उनके जिम में हत्या कर दी गई थी। उस समय कुलकर्णी सिद्दारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में मंत्री थे। गौड़ा की हत्या से व्यापक आक्रोश और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भड़क उठे। भाजपा ने दावा किया कि इस हत्या का उद्देश्य क्षेत्र में उसके बढ़ते प्रभाव को दबाना था।
गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने चुनाव प्रचार के दौरान मामले में न्याय सुनिश्चित करने की बात कही थी और पदभार ग्रहण करने के बाद जांच को सीबीआई को सौंप दिया था। इसके बाद कुलकर्णी को एजेंसी ने पांच नवंबर 2020 को गिरफ्तार किया था और नौ महीने तक जेल में रहने के बाद 13 अगस्त, 2021 को कुलकर्णी को जमानत मिल गई थी।
जमानत शर्तों के तहत उच्चतम न्यायालय ने कुलकर्णी को धारवाड़ जिले में प्रवेश करने से रोक दिया था। फिर भी, उन्होंने निर्वाचन क्षेत्र में कदम रखे बिना धारवाड़ से 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। उनके चुनाव प्रचार का प्रबंधन उनकी पत्नी और पुत्री ने संभाला था। बाद में शीर्ष अदालत ने गवाहों के लिए त्वरित सुनवाई और जांच का आदेश दिया।
सीबीआई ने आरोप लगाया कि कुलकर्णी ने प्रलोभनों के माध्यम से गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास किया और इस आशय के सबूत अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए। उच्चतम न्यायालय ने बाद में गवाहों से छेड़छाड़ की चिंताओं का हवाला देते हुए उनकी जमानत रद्द कर दी।
कुलकर्णी ने इससे पहले संवाददाताओं से बातचीत में खुद को निर्दोष बताया और कहा कि अदालत सबूतों के आधार पर फैसला करेगी। उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया में विश्वास जताया। इस बीच, कांग्रेस सूत्रों ने मामले के राजनीतिक नतीजों को लेकर पार्टी के भीतर बेचैनी का संकेत दिया है।