नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय से शुक्रवार को राज्य सरकार को बड़ी राहत देते हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर लगी रोक हटा दी। साथ ही चुनाव आयोग को चुनावी प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश जी नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ में आज कुल 19 याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सरकार की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर और मुख्य स्थायी अधिवक्ता (सीएससी) चंद्रशेखर रावत की ओर से लगी रोक को हटाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से आज सरकार की ओर से तय किये गये आरक्षण को गलत ठहराने के लिए कई दलीलें पेश की गई और कहा गया कि कई सीटों का आरक्षण गलत किया गया है। आरक्षण में पुनरावृत्ति की गई है लेकिन वह अंततः अदालत को संतुष्ट नहीं कर पाए।
वहीं सरकार की ओर से कहा गया कि आरक्षण तय करने में संविधान और कानूनी प्रावधानों का अनुपालन किया गया है। महाधिवक्ता की ओर से उच्चतम न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि चुनावी अधिसूचना जारी होने के बाद उच्च न्यायालय को चुनावी प्रक्रिया पर रोक लगाने का अधिकार नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि सुरेश महाजन बनाम मध्य प्रदेश सरकार मामले में भी शीर्ष अदालत ने कहा है कि चुनाव आयोग, सरकार और न ही उच्चतम न्यायालय को चुनाव रोकने का अधिकार है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने आरक्षण तय करने में संविधान की धारा 242 (डी) का अनुपालन किया है। उन्होंने कहा कि जो आरोप याचिकाकर्ताओं की ओर से लगाए गए हैं उन्हें चुनावी याचिका के माध्यम से चुनौती दी जानी चाहिए। सरकार का पक्ष सुनने के बाद खंडपीठ ने चुनावी प्रक्रिया पर लगी रोक को हटा दिया। साथ ही सरकार को तीन दिन में जवाब देने को कहा है।
गौरतलब है कि राज्य चुनाव आयोग की ओर से प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने के लिये विगत 21 जून को अधिसूचना जारी की गयी थी। इसी के साथ प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू होने के साथ हरिद्वार जिले को छोड़ कर शेष 12 जिलों में चुनावी प्रक्रिया लागू हो गई। इसके तहत 10 और 15 जुलाई को दो चरणों में मतदान और 19 जुलाई को मतगणना का कार्य होना था लेकिन इन याचिकाओं के आलोक में विगत 23 जून को न्यायालय ने पूरी चुनावी प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।