स्टॉकहोम। वेनेजुएला में विपक्ष की नेता और इंजीनियर मारिया कोरिना माचादो को लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने और मानवाधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिये वर्ष 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है।
वेनेजुएला की नेता को नोबेल शांति पुरस्कार देने की घोषणा से अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बड़ा झटका लगा है क्योंकि वह कई बार कह चुके हैं कि आठ युद्ध रुकवाने के लिए उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाना चाहिए।
माचादो का जन्म 7 अक्टूबर 1967 को हुआ था और वह 2011 से 2014 तक वेनेजुएला की राष्ट्रीय सभा की सदस्य रही। वह लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने में अपने योगदान के लिए वेनेजुएला में ‘आयरन लेडी’ के नाम से मशहूर हैं।
माचादो को टाइम पत्रिका की 2025 के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में भी शामिल किया गया था। वह दो दशक से भी अधिक समय से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए आवाज उठाती रही हैं। उन्होंने वेनेजुएला में राजनीतिक पदों पर रहते और संगठनों के प्रति अपनी सेवा के दौरान न्यायिक स्वतंत्रता, मानवाधिकारों और जनप्रतिनिधित्व के लिए आवाज उठाने का काम किया है। सुश्री माचादो ने वर्षों तक वेनेजुएला के लोगों की स्वतंत्रता के लिए काम किया है।
वेनेजुएला अभी मानवीय और आर्थिक संकट से जूझ रहा है। अधिकांश वेनेजुएलावासी गरीबी में जी रहे हैं, जबकि शीर्ष पर बैठे कुछ लोग समृद्धि के प्रतीक बने हुए हैं। देश की हिंसक प्रशासनिक मशीनरी देश के अपने नागरिकों के खिलाफ संचालित है। लगभग 80 लाख लोग देश छोड़ चुके हैं। चुनाव में धांधली, कानूनी दांव-पेंच और कारावास के माध्यम से विपक्ष को व्यवस्थित रूप से दबाया जाता है।
उल्लेखनीय है कि माचादो 2024 के चुनाव से पहले विपक्ष की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार थीं। लेकिन प्रशासन ने उनकी उम्मीदवारी रोक दी। इसके बाद उन्होंने चुनाव में एक अलग पार्टी के प्रतिनिधि एडमंडो गोंजालेज उरुतिया का समर्थन किया। उन्होंने लोगों को पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कराने के लिए चुनाव पर्यवेक्षकों के रूप में प्रशिक्षित किया।
उत्पीड़न, गिरफ्तारी और यातना के जोखिम के बावजूद देशभर के नागरिकों ने मतदान केंद्रों पर नजर रखी। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि शासन द्वारा मतपत्रों को नष्ट करने और परिणामों के बारे में झूठी जानकारी देने से पहले अंतिम गणना का दस्तावेजीकरण कर लिया जाए।
नॉर्वे की नोबेल समिति ने अपने लंबे इतिहास में उन बहादुर महिलाओं और पुरुषों को सम्मानित किया है जिन्होंने दमन का विरोध किया है, जिन्होंने जेल की कोठरियों, सड़कों और चौक-चौराहों पर आजादी की अलग जगाई है और जिन्होंने अपने कार्यों से दिखाया है कि शांतिपूर्ण प्रतिरोध दुनिया को बदल सकता है। माचादो को पिछला एक साल छिपकर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा है। अपनी जान को गंभीर खतरों के बावजूद वह देश में ही रहीं। उनके इस फैसले ने लाखों लोगों को प्रेरित किया है।
माचादो नोबेल शांति पुरस्कार विजेता के चयन के लिए अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत में बताए गए सभी तीन मानदंडों पर खरी उतरती हैं। उन्होंने अपने देश के विपक्ष को एकजुट किया है। वे वेनेज़ुएला के समाज के सैन्यीकरण का विरोध करने में कभी पीछे नहीं हटीं। वह लोकतंत्र में शांतिपूर्ण परिवर्तन चाहती हैं।
नॉर्वे की नोबेल समिति ने अपने प्रशस्ति पत्र में कहा है कि जब सत्तावादी सत्ता हथिया लेते हैं, तो स्वतंत्रता के उन साहसी रक्षकों को पहचानना जरूरी है जो उठ खड़े होते हैं और प्रतिरोध करते हैं। इस पत्र में कहा गया कि समिति ने इस समय वेनेजुएला पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया है। समिति ने माचादो की तारीफ करते हुए उन्हें शांति की बहादुर और समर्पित चैंपियन बताया है, जो बढ़ते अंधेरे (तानाशाही) के समय भी लोकतंत्र की रोशनी को जलाए रखती हैं।
माचादो ने दिखाया है कि लोकतंत्र के साधन शांति के साधन भी हैं। वह भविष्य की प्रतीक हैं, जहां नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा की जाएगी और उनकी आवाज सुनी जाएगी। भविष्य में लोग अंततः शांति से जीने के लिए स्वतंत्र होंगे।
उल्लेखनीय है कि माचादो को लगभग 1.2 मिलियन डॉलर मूल्य का नोबेल शांति पुरस्कार 10 दिसंबर को ओस्लो में प्रदान किया जाएगा। इसी दिन डायनामाइट के आविष्कारक स्वीडिश उद्योगपति अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि है। उन्होंने ही 1895 में अपनी वसीयत में इस पुरस्कार की स्थापना की थी।