वांछित खालिस्तानी आतंकी परमजीत सिंह पंजवार की गोली मारकर हत्या

नई दिल्ली/इस्लामाबाद। पाकिस्तान में लाहौर के नवाब कस्बे में शनिवार को अज्ञात हमलावरों ने वांछित खालिस्तानी आतंकवादी परमजीत सिंह पंजवार की गोली मार कर हत्या कर दी। पुलिस ने कहा कि खालिस्तान कमांडो फोर्स-पंजवार समूह के प्रमुख 63 वर्षीय पंजवार को सिर में जानलेवा गोली मारी गई।

डॉन समाचार पत्र ने पुलिस के हवाले से बताया कि जब हमला हुआ पंजवार सुबह करीब साढ़े छह बजे अपने अंगरक्षक के साथ सनफ्लॉवर हाउसिंग सोसाइटी में अपने आवास के पास मॉर्निंग वॉक कर रहा था। पंजवार के सिर में घातक गोली मारी गई। हमले में उनका अंगरक्षक भी घायल हो गया और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है। हमला करने के बाद हमलावर मौके से फरार हो गए।

सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और सबूत जुटाने के लिए इलाके की घेराबंदी कर दी। पुलिस ने संदिग्धों को पकड़ने के लिए गश्त तेज करने और स्नैप-चेकिंग के लिए हाई अलर्ट भी जारी किया है। फिलहाल किसी भी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। पुलिस अधिकारी ने कहा कि पंजवार की हत्या के पीछे के मकसद के बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी और पुलिस टीमें सभी संभावित सुरागों पर काम कर रही हैं।

समाचार पत्र डॉन ने कहा कि पंजवार के शव को पोस्टमार्टम के लिए शहर के मुर्दाघर में स्थानांतरित कर दिया गया है और पुलिस विशेषज्ञ संदिग्धों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए अपराध स्थल के सीसीटीवी फुटेज खंगालने की कोशिश कर रहे हैं।

पंजवार 1988 में चंडीगढ़ में भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के तत्कालीन अध्यक्ष मेजर जनरल बीएन कुमार (सेवानिवृत्त) की हत्या, 1989 में पटियाला के थापर इंजीनियरिंग कॉलेज में 19 छात्रों की हत्या और 1989 में तत्कालीन एसएसपी बटाला गोबिंद राम के बेटे राजन बैंस का अपहरण और हत्या के मामले में भारत में वांछित था।

पंजवार 1999 में चंडीगढ़ के सेक्टर 34 में बम विस्फोट और अस्सी के दशक के मध्य में पंजाब में उग्रवाद के दौर में हत्या और अपहरण के कई अन्य मामलों में भारत में वांछित था। वह जर्मनी भाग गया और बाद में 1990 में पाकिस्तान चला गया। उसकी पत्नी और बच्चे जर्मनी में रहते थे। बताया जाता है कि उसकी पत्नी की कुछ साल पहले मौत हो गई थी।

पंजवार को भारत में जुलाई 2020 में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत एक आतंकवादी के रूप में घोषित किया गया था। पंजवार के भारत में पंजाब में ड्रोन के माध्यम से नशीली दवाओं और हथियारों की तस्करी में शामिल होने की सूचना मिली थी। खबरों के मुताबिक वह मलिक सरदार सिंह की फर्जी पहचान के तहत पाकिस्तान में रह रहा था। मूलरूप से वह पंजाब में तरनतारन जिले के गांव पंजवार का रहने वाला था। पाकिस्तान ने हमेशा उनकी मौजूदगी से इनकार किया है।

पंजवार अपने चचेरे भाई और लाभ सिंह से प्रभावित होकर 1986 में खालिस्तान कमांडो फोर्स में शामिल हुआ था। इससे पहले उसने सोहल में केंद्रीय सहकारी बैंक में चपरासी-सह-क्लर्क के रूप में काम किया था।