लालसोट के पास समेल में करीब 20-20 करोड़ की लागत से निर्मित एनिकटों का लोकार्पण

दौसा। जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश की तस्वीर और दशा-दिशा बदलने वाली पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के माध्यम से चम्बल, काली सिंध और पार्वती नदी का पानी लालसोट की धरती पर आएगा और जनता एवं खेती की प्यास बुझाएगा। मंत्री रावत बुधवार को यहां लालसोट के पास समेल में करीब 20-20 करोड़ की लागत से निर्मित दो एनिकटों के लोकार्पण समारोह को संबोधित कर रहे थे।

जल संसाधन मंत्री ने कहा कि पूर्वी राजस्थान की पानी की समस्या की गंभीरता को समझते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने ईआरसीपी योजना को धरातल पर उतारने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया, जिससे पूर्वी राजस्थान के 17 जिलों को जोड़ा गया है। इस योजना का टेंडर होकर काम चालू हो गया है।

उन्होंने कहा कि लालसोट क्षेत्र का मोरेल बांध भी इससे जुड़ा है। इसके अलावा क्षेत्र के अन्य बांधों को भी जोड़ने पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस योजना के पूर्ण होने पर चम्बल, काली सिंध और पार्वती नदी का पानी लालसोट की धरती पर आएगा। व्यर्थ बहकर जाने वाले बरसात के पानी से यहां की जनता की प्यास बुझेगी, खेतों में सिंचाई होगी और उद्योग-धंधे फलीभूत होंगे।

जल संसाधन मंत्री ने वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि जल है तो कल है। जल के बिना हम जीने की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। पानी प्रकृति की अमूल्य देन है, जिसे हम पैदा नहीं कर सकते हैं, केवल संरक्षित करके ही उपयोग में ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि पुराने समय में लोग बावड़ियों एवं कुओं से ही पानी पीते थे, लेकिन कालान्तर में समय के साथ बावड़ियां, कुएं और तालाब दुर्दशा के शिकार होते गए।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अपने भागीरथी प्रयास से इन बावड़ियों, तालाबों एवं बांधों की साफ-सफाई और संरक्षण के लिए एक पखवाड़े का वृहद स्तर पर अभियान चालू किया है। उन्होंने आमजन से इस अभियान से जुड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि जब अमृत रूपी बरसाती पानी धरती पर गिरता है तो हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि उस पानी को संरक्षित करें और बचाएं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस पुनीत कार्य को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। हम सब लोग भी अपने-अपने क्षेत्र में और दूरदराज के गांव-ढाणियों में नदी किनारों और तालाबों की पाल पर जाकर जनजागरण का काम करें।

इस अवसर पर लालसोट विधायक रामबिलास मीणा ने इन एनिकटों के निर्माण से क्षेत्र को होने वाले फायदों को रेखांकित किया और क्षेत्र की समस्याओं से जल संसाधन मंत्री को अवगत कराया। उन्होंने समेल एनिकट पर सुरक्षा दीवार बनाने, गंदे पानी को स्वच्छ बनाने के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने एवं नालावास डेम को स्वीकृत करवाने की मांग की जिस पर जल संसाधन मंत्री ने सभी मांगों पर स्वीकृति के लिए आश्वस्त किया। वंदे गंगा जल सरंक्षण जन अभियान के विधानसभा संयोजक डॉ. शंभु लाल कुईवाला ने भी विचार प्रकट किए।

समेल एनिकट से 7 और बाड़ा एनिकट से 5 गांवों को फायदा

जल संसाधन मंत्री रावत ने बताया कि मोरेल नदी पर समेल होदायली में निर्मित एनिकट से सात गांवों एवं ढाणियों तथा ग्राम बाड़ा के पास एनिकट निर्माण से पांच गांवों एवं ढाणियों को फायदा मिलेगा। उन्होंने बताया कि 19 करोड़ 82 लाख रुपए से निर्मित समेल एनिकट से समेल, होदायली, गुजरहेरा, मंडलिया, जगसरा, गुमानपुरा सहित सात गांव एवं आसपास की कई छोटी ढाणियां लाभान्वित होंगी। इसी प्रकार 19 करोड़ 45 लाख रुपए के व्यय से बने बाड़ा एनीकट से बाड़ा, रायपुरा, टोण्ड, जस्टाना, बिलोना खुर्द आदि गांव लाभान्वित होंगे।

भू-जल में वृद्धि होगी, कुएं-हैंडपम्प रिचार्ज होंगे

उन्होंने बताया कि एनिकट में गेटेड प्रणाली का प्रावधान रखा गया है ताकि जून से सितम्बर माह तक मानसून के दौरान इन गेटों को वर्षा जल प्रवाह छोड़ने के लिए खुला रखा जाएगा। इनके निर्माण से मानसून के दौरान वर्षा के पानी को एकत्रित किया जा सकेगा, जिससे आसपास की ढाणियों एवं गांवों में भू-जल में वृद्धि होगी और कुएं, हैंडपम्प इत्यादि रिचार्ज होंगे। इससे क्षेत्र में पेयजल की समस्या का निवारण होगा और पशु-पक्षी एवं अन्य जीव-जन्तु के पेयजल के लिए भी जल उपलब्ध हो सकेगा।

इस अवसर पर लालसोट नगर परिषद सभापति पिंकी चतुर्वेदी, जल संसाधन विभाग के एडिशनल चीफ इंजीनियर देवी सिंह बेनीवाल, लालसोट उपखंड अधिकारी विजेंद्र मीना, लालसोट तहसीलदार अमितेश मीना, निर्झरना तहसीलदार सीमा घुणावत, जिलाध्यक्ष डॉ. प्रभुदयाल शर्मा, जल संसाधान विभाग के रमाशंकर शर्मा, मांगीलाल मीना, जालंधर मीना, संगीता मीना तथा अन्य जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक, विभागीय अधिकारी-कार्मिक एवं आमजन उपस्थित थे।