इंटरनेशनल तक खेला, ताइक्वांडो में जीते कई मेडल
जयपुर। कम उम्र में बड़ा कारनामा हर किसी के बस की बात नहीं है। बमुश्किल तेरह साल की उम्र में 7वीं कक्षा के एक स्टूडेंट ने ऐसा कर दिखाया। घर के आसपास खेलने की उम्र में उसने नेशनल-इंटरनेशनल प्रतियोगिता में मेडल हासिल कर स्कूल के साथ कोच ही नहीं परिवार के साथ जयपुर का भी नाम रोशन कर दिया। चौथी कक्षा से ही उसने ताइक्वांडो के दांव-पेच सीखने शुरु कर दिए थे।
दिव्यांश जसोरिया (13) महेश नगर के द केंब्रिज स्कूल का स्टूडेंट है। अभी वह एसएमएस ताइक्वांडो एकेडमी के कोच संदीप कुमावत से ट्रेनिंग ले रहा है। बच्चों को बिगाड़ने का सबसे जिम्मेदार माने जाने वाले मोबाइल ने ही ताइक्वांडो से उसका नाता जोड़ा था। परिवहन विभाग में कार्यरत उसके पिता दिनेश चंद जसोरिया ने बताया कि पहले मन बहलाने के लिए वो मोबाइल देखता रहता था, उसे कई तरह की अलग-अलग मनोरंजक वीडियो दिखाने की कोिशश की पर उसका मन नहीं लगा।
बाद में ताइक्वांडो के वीडियो देखते-देखते ही वो इसका ही दीवाना हो गया। मां नीता बताती है कि चौथी कक्षा में मात्र नौ साल की उम्र में उसने ताइक्वांडो ज्वाइन कर ब्लू बेल्ट हासिल कर ली। स्कूली स्तर पर दो प्रतियोगिताओं में भाग लिया, एक में सिल्वर मेडल हासिल किया। इसी साल अगस्त में उसने एसएमएस ताइक्वांडो एकेडमी ज्वॉइन की है। डिस्ट्रिक लेबल पर उसने ग्रीन बेल्ट हासिल की। सितंबर में यहां आयोजित राज्यस्तरीय सिख ताइक्वांडो चैिम्पयनशिप में कांस्य पदक हासिल किया।
इसके साथ हैदराबाद में आयोजित फर्स्ट एशियन ओपन इंटरनेशनल ताइक्वांडो चैम्पियनशिप और एसएमएस जयपुर में आयोजित थर्ड भारत नेशनल ताइक्वांडो चैम्पयनशिप में सिल्वर मेडल प्राप्त किया। तीन नवंबर को कोटा में आयोजित राजस्थान स्टेट ताइक्वांडो चैम्पियनशिप सिल्वर मेडल हासिल किया। हाल ही 21-23 नवंबर को आयोजित इंटरनेशनल प्रतियोगिता में चयन के लिए बरेली में कांस्य पदक मिला।
टॉप पर जाना चाहता है
दिव्यांश ने ‘जागो इंडिया जागो’ से बातचीत में अपना सपना बताते हुए कहा कि उसे सफलता के शिखर पर पहुंचना है, चाहे इसके लिए कितनी ही मेहनत क्यों न करनी पड़े। इसके लिए उनकी कोशिश जारी है। पढ़ाई के साथ हफ्ते में तीन दिन एसएमएस स्टेडियम में जाकर ट्रेिनंग लेता हूं। पढ़ाई बाधित नहीं करता, उस पर भी फोकस रखता हूं। पेरेंटस भी पूरा सपोर्ट करते हैं। स्कूल प्रबंधन ने भी मुझे आगे बढ़ाया।





