भरतपुर एवं सीकर में दो बच्चों की मौत के मामले में चिकित्सकों ने नहीं लिखी डेक्सट्रोमैटोरफन दवा

जयपुर। राजस्थान में संचालित नि:शुल्क दवा योजना के तहत वितरित खांसी की सीरप की गुणवत्ता की शिकायत के प्रकरण में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग गंभीरता के साथ कार्रवाई सुनिश्चित कर रहा है और भरतपुर एवं सीकर जिले में दो बच्चों की मौत के प्रकरण में प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार दोनों ही बच्चों को खांसी की दवा डेक्सट्रोमैटोरफन नहीं लिखी गई थी।

विभाग ने सीकर जिले में हाथीदेह पीएचसी में बच्चों के लिए खांसी की प्रतिबंधित दवा लिखे जाने पर एक चिकित्सक एवं फार्मासिस्ट को निलंबित करने की कार्रवाई भी प्रारंभ कर दी है।

निदेशक जनस्वास्थ्य डा रवि प्रकाश शर्मा ने बताया कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने प्रकरण सामने आने पर तत्काल संज्ञान लेते हुए मामले की जांच किए जाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद आरएमएससीएल ने संबंधित दवा के वितरण एवं उपयोग पर रोक लगा दी थी और जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन भी कर दिया था। साथ ही दवा का वैधानिक नमूना लेकर जांच के लिए राजकीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला भी भेजा गया है।

डा शर्मा ने बताया कि भरतपुर एवं सीकर में दो बच्चों की मौत के प्रकरण में प्राप्त रिपोर्ट में सामने आया है कि चिकित्सक द्वारा दोनों ही बच्चों को डेक्सट्रोमैटोरफन एचबीआर सीरप नहीं लिखी गई है। प्रोटोकॉल के अनुसार बच्चों को यह दवा नहीं लिखी जाती है। सीकर के अजीतगढ़ ब्लॉक की हाथीदेह पीएचसी पर एक बच्चे को खांसी की यह दवा लिखे जाने का मामला सामने आया था, जिस पर चिकित्सक डा पलक एवं फार्मासिस्ट पप्पू सोनी को निलंबित करने की कार्रवाई की जा रही है।

रिपोर्ट के अनुसार भरतपुर के कलसाडा निवासी 30 वर्षीय मोनू जोशी गत 25 सितम्बर को खांसी जुकाम एवं बुखार होने पर सीएचसी कलसाडा आए थे। चिकित्सक ने उन्हें अन्य दवाओं के साथ सिरप डैक्ट्रामैट्रोफन हाइड्रो ब्रोमाइड लिखी थी। मोनू जोशी ने अपने तीन वर्षीय पुत्र गगन के जुकाम एवं निमोनिया होने पर बिना चिकित्सक की सलाह के यह सीरप उसे पिला दी।

गगन की तबीयत ज्यादा खराब होने पर वे तुरन्त चिकित्सक डा अशोक जैन के पास महुआ लेकर गए। डा जैन ने मरीज की गम्भीर अवस्था को देखते हुए उसे जेके लोन जयपुर के लिए रैफर कर दिया गया। 25 सितम्बर को ही अपराह्न दो बजे गगन को जेके लोन हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। मरीज की स्थिति में सुधार होने पर उसे 27 सितम्बर को डिस्चार्ज कर दिया गया।

उन्होंने बताया कि इसी प्रकार गत अक्टूबर को प्रकाशित खबर तीन भाई बहनों ने लिया खांसी का सीरप, एक की मौत के बारे में वस्तु स्थिति यह है कि गत 18 सितम्बर को नहनी (50) उपकेन्द्र, मलाह पर दिखाने आई थी, जिसे उप केन्द्र स्तर की पीसीएम दवाई दी गई। जिस बच्चे सम्राट की मौत होना खबर में प्रकाशित हुआ है वह पहले से निमोनिया से ग्रसित था, जिसे भरतपुर से जयपुर रैफर किया गया था। सम्राट की मृत्यु गत 22 सितम्बर को हुई।

वहीं सीकर के ग्राम खोरी के नित्यांश शर्मा की मृत्यु के संबंध में प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार वस्तु स्थिति यह है कि गत सात जुलाई को बच्चे को बुखार-जुकाम की शिकायत पर सीएचसी चिराना, झुंझुनूं में दिखाया गया। रोगी की पर्ची में सिरप डैक्ट्रमैथोरफन नहीं लिखी गई थी। बच्चे की माता खूशबू शर्मा ने बताया कि 28 सितंबर को रात नौ बजे बच्चे को हल्की खांसी की शिकायत हुई तब पहले से घर में रखी डैक्स्ट्रोमैथोरफन पांच एमएल कफ सिरप माता ने बच्चे को दी थी।

इसके बाद 29 सितम्बर को रात दो बजे बच्चे ने पानी पिया और सो गया। तब तक बच्चा ठीक था। सुबह पांच बजे मां उठी तो बच्चा बेसुध था। बच्चे को राजकीय श्रीकल्याण अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस प्रकार दोनों ही बच्चों की मौत के मामले में चिकित्सक द्वारा डैक्स्ट्रोमैथोरफन दवा नहीं लिखी गई है।