लेह/नई दिल्ली। लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर लेह में छात्रों के हिंसक विरोध-प्रदर्शन में चार युवाओं की मौत और 20 से अधिक लोगों के घायल होने की रिपोर्टें हैं, हालांकि अभी हताहतों की संख्या की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है।
इस बीच गत 10 सितंबर से लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने हडताल तोड़ दी है। वांग्चुक ने सोशल मीडिया एक्स पर कहा कि आज मेरा शांतिपूर्ण मार्ग का संदेश विफल हो गया। मैं युवाओं से अपील करता हूं कि कृपया यह अनुचित कार्य बंद करें। इससे हमारे उद्देश्य को ही नुकसान पहुंचता है।
इस भूख हड़ताल को लद्दाख एपेक्स बॉडी (एलएबी) के युवा विंग का समर्थन प्राप्त था। एलएबी ने विरोध प्रदर्शन और बंद का आह्वान किया था, क्योंकि पिछले दिन दो भूख हड़ताली लोगों की हालत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक छात्रों की पुलिस के साथ कथित तौर पर झड़प हुई और उन्होंने पथराव किया। प्रदर्शनकारियों ने एक सीआरपीएफ वाहन और स्थानीय बीजेपी कार्यालय में आग लगा दी, जिसके बाद स्थिति और बिगड़ गई। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया। कानून और व्यवस्था बहाल करने के लिए अतिरिक्त बल तैनात किए गए हैं।
हिंसक झड़पों के बाद चार दिवसीय वार्षिक लद्दाख उत्सव का समापन समारोह रद्द कर दिया गया। लेफ्टिनेंट गवर्नर कविंदर गुप्ता को इस समापन समारोह में शामिल होने वाले थे। केंद्र सरकार और लद्दाख बौद्ध संघ (एलबीए) तथा कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के प्रतिनिधियों के बीच 6 अक्टूबर को वार्ता होने वाली है।
लद्दाख के जनसंपर्क और सूचना विभाग ने एक बयान में कहा कि लद्दाख संघ शासित प्रदेश प्रशासन ने अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण चल रहे लद्दाख उत्सव के अंतिम दिन और समापन समारोह को रद्द करने की घोषणा की है। प्रशासन स्थानीय कलाकारों, सांस्कृतिक मंडलियों, पर्यटकों और लद्दाख के लोगों, जो इस आयोजन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, को हुई असुविधा के लिए गहरा खेद व्यक्त करता है।
बयान में कहा गया कि लद्दाख उत्सव क्षेत्र के युवा और उभरते कलाकारों के लिए अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने और कौशल विकसित करने का मंच रहा है। इसका उद्देश्य संघ शासित प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देना भी है। संविधान की छठी अनुसूची, जो असम, त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम के चार पूर्वोत्तर राज्यों के आदिवासी समुदायों के लिए बनाई गई है, में स्वायत्त परिषदों के माध्यम से शासन, राष्ट्रपति और राज्यपाल की शक्तियों, स्थानीय निकायों, न्यायिक तंत्र और वित्तीय शक्तियों के लिए विशेष प्रावधान हैं।