सबगुरु न्यूज- सिरोही। राजस्थान के सबसे बड़ी घास बीड़ बड़ाखेड़ा को अशोक गहलोत सरकार द्वारा कंजर्वेशन रिजर्व घोषित किया गया था। आरोप ये लोग रहा है कि इसके कंजर्वेशन रिजर्व घोषित होने का बाद इससे सटे 10 ग्राम पंचायतों के लाखों मवेशियों का चारागाह छीन लिया गया है। इसी को लेकर बड़ाखेड़ा जोड़ संघर्ष समिति के अध्यक्ष कुलदीप सिंह ने मुख्यमंत्री को ज्ञान भेजा है।
ज्ञापन में आरोप लगाए गया है कि कांग्रेस पूर्व शासनकाल में सिरोही के पूर्व विधायक संयम लोढ़ा द्वारा अपने कथित रूप से अपने निजी स्वार्थ के लिए राजस्थान के सबसे बड़े घास बीड को कंजर्वेशन रिजर्व घोषित करवाया था।
इसमें बताया कि बाडा खेडा घास बीड़ लगभग 27,000 (सत्ताइस हजार) बीघा में फैली हुई हुआ। इस घास बीड पर आसपास के गावों के करीब 1 लाख मवेशी चराई पर निर्भर थे। वर्तमान में पशु चराई पर रोक से इन मवेशिओं के जीवन पर संकट आ गया है।
ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि पूर्ववर्ति सरकार में जब इस कन्जर्वेशन रिजर्व हेतु प्रस्ताव पर संबंधित पचांयतो से NOC मांगी गयी तब संबंधित सभी ग्राम पंचायतों में विशेष ग्राम सभा बुलाकर पशुपालकों व जनप्रनिधियों से चर्चा करने के उपरांत सख्त आपत्ति दर्ज करवाने का प्रस्ताव किया। इसकी जानकारी पूर्व विधायक को होने पर उसी प्रस्ताव को कुछ समय बाद वापस लाया गया व दबंगई से सभी संरंपचों की लेटरहैड पर बिना प्रस्ताव लिए अनापत्तियां जारी करवाई जो सर्वथा अनुचित है। केवल सरंपचो के हप्ताक्षर करवाकर अनापत्तियां जारी करवाई गई जो सर्वधा अनुचित है।
ज्ञापन में बताया गया कि वाडाखेडा घासबीड में सदियों से काले हिरण, नीलगाय, गाय व अन्य मवेशी साथ-साथ चराई कर रहे है। इनमें से पशु चराई में गोवंश की चराई प्रविबन्धित करना किसी भी प्रकार से न्यायोचित नहीं है। सिरोही जिले में अन्यत्र ऐसा कोई घास बीड नहीं है जो करीब 1 लाख गौवंश की पालन पोषण कर सकें।
मुख्यमंत्री से अनुरोध किया गया हुआ कि लाखों जीव जन्तुओ के भविष्य को देखते हुए बाडाखेडा कन्जर्वेशन रिजर्व को निरस्त करवाएं। इसमें बताया गया है कि जिले में पशुपालकों व आमजन में भारी रोष हैं अगर उचित कार्यवाही नहीं होती है तो 1 अगस्त को सभी पशुपालक व आमजन जिला मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन करेगें।