छत्तीसगढ़ : मोहला-मानपुर में आदिवासी ग्रामीणों ने बनाया देसी पुल

मोहला-मानपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित आदिवासी बाहुल्य मानपुर ब्लॉक के खुरसेखुर्द और बसेली गांव के ग्रामीणों ने अपनी परेशानियों का हल खुद ही निकाला। बारिश का पानी जब नाले से गुजरता था। तब महिलाओं और स्कूली बच्चों का आना जाना संभव ही नहीं था। राजनांदगांव में दोनों ही गांव के लोगों ने कई बार जन प्रतिधियों को आवेदन दिया। पर आज तक एक छोटा सा पुल सरकार की ओर से नहीं बनाया जा सका।

लगभग तीन सप्ताह पहले ख़ुर्सेखुर्द और बसेली के ग्रामीणों ने सामूहिक बैठक की। बैठक में सर्व सम्मति से ये तय किया गया कि वो पुल खुद ही बनाएंगे। ग्रामीणों ने मिलकर बांस और मोटे- मोटे बल्लियों के सहारे पुल बनाया। पुल बन जाने के बाद,पैदल और साइकिल सवारों का आना जाना शुरू हुआ।

दिक्कत, हल्के चार पहिया वाहनों के आने जाने की थी। ग्रामीणों ने फिर एक बैठक करके ये तय किया कि बांस-बल्लियों से बने इस पुल पर,यदि मुरूम की परत डाल दी जाए। तो, हल्के चार पहिया वाहनों का भी आना-जाना संभव है। मुरूम की परत डाली गई फिर क्या था,पूरे गांव में खुशहाली थी कि बिना सरकार की मदद के वो अपने गांव के बाहर आना-जाना कर सकेंगे।

मौसमी नाले के कारण स्कूली बच्चों का आना जाना, अस्पताल, राशन और जरूरी कामों से आना जाना बेहद मुश्किल भरा था। ग्राम बसेली के सरपंच लाल सिंह तुलावी ने बताया कि सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते-काटते थक गए थे। इसलिए दो गांवों की बैठक में फैसला किया कि हम खुद ही पुल बनाएंगे। अब दोनों गांवों के बच्चे सुरक्षित स्कूल आ-जा पा रहे हैं, और सामान लाना ले जाना भी आसान हो गया है।

देशी पुल के बारे में ख़ुर्सेखुर्द के ग्रामीण दयाराम तुलावी से बात की। दयाराम ने बताया कि मोहला मानपुर के विधायक इंदर शाह मंडावी ने एक बार बुलाया था।उनको ग्रामीणों की परेशानियों के बारे में बताया था। उन्होंने एक सीसी रोड बनवाई है।लेकिन, वह रोड किसी के काम की नहीं है।

दयाराम की पत्नी जयवंती तुलावी,ग्राम खुरसेखुर्द की सरपंच है। जयवंती तुलावी ने बताया कि जब मोहला, मानपुर,अंबागढ़ चौकी जिला नहीं बना था। तब, बहुत बार गांव की समस्या को लेकर राजनांदगांव जाना होता था। पुल की जरूरत के बारे में कई बार बताया।

चार गांवों का शासकीय राशन दुकान ग्राम बसेली में है। उप स्वास्थ्य केंद्र भी ग्राम पंचायत बसेली में ही है। और जब पुल नहीं था तो, दिक्कत चार गांव के हजारों लोगों की थी। पुल बनने के बाद सही मायनों में खुशहाली आई है।