अजमेर। महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय के योग एवं मानवीय चेतना विभाग द्वारा आयोजित अखंड भारत दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शिक्षाविद् हनुमान सिंह राठौड़ ने भारत के गौरवशाली इतिहास, अखंड भारत की संकल्पना एवं भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रभाव पर महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए।
उन्होंने तक्षशिला, नालंदा जैसे प्राचीन विश्वविद्यालयों से लेकर विश्वव्यापी भारतीय संस्कृति के ज्ञान एवं सदाचार से मानवता को मार्गदर्शन देने पर जोर दिया। श्री राठौड़ ने स्पष्ट किया कि भारतीय सभ्यता की नींव केवल भूगोल नहीं, बल्कि एक साझा सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और वैचारिक चेतना है।
उन्होंने कहा कि 14 अगस्त को अखंड भारत दिवस मनाने का उद्देश्य उस विभाजन की दुखद स्मृति के साथ-साथ सांस्कृतिक एकात्मता को पुनः स्थापित करना है। बार-बार आक्रमणों एवं विभाजनकारी षड्यंत्रों के बावजूद भारतीय संस्कृति ने हमेशा आत्मसात करते हुए विविध संस्कृतियों को समाहित किया है।
स्वामी विवेकानंद के आदर्शों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हमें भारत को माता मानना, उसकी भूमि को तीर्थ समझना, गौरवशाली इतिहास पर गर्व करना और कर्मयोगी बनकर राष्ट्र निर्माण में योगदान देना चाहिए। वर्तमान में भारत आर्थिक, सामरिक और ज्ञान के क्षेत्र में पुनः उन्न्ति कर रहा है, जो विश्व के लिए प्रेरणा स्रोत है।
उन्होंने उपस्थित विद्यार्थियों को यह संदेश दिया कि अखंड भारत दिवस अतीत की स्मृति मात्र नहीं, बल्कि भविष्य के लिए साझा प्रतिज्ञा है, जिसमें युवाओं को भारत को जानने, मानने, बनाने और उसकी सेवा करने का दायित्व निभाना होगा।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के माननीय कुलगुरू प्रो. सुरेश कुमार अग्रवाल ने अखंड भारत को मात्र भौगोलिक मानचित्र न मानकर एक चिरंतन सांस्कृतिक संकल्पना बताया। उन्होंने कहा कि भारत की अखंडता का आधार उसकी सांस्कृतिक एकता एवं मूल्य हैं जो सीमाएं पार कर पूरे उपमहाद्वीप और उससे बाहर भी विद्यमान हैं।
प्रो. अग्रवाल ने प्रो. कपिल कपूर के विचार उद्धृत करते हुए कहा कि भारत और उसके बाहर समान संस्कारों और रीति-रिवाजों से भारतीय संस्कृति की व्यापक अखंडता प्रकट होती है। उन्होंने जोर दिया कि केवल विचार सुनना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि युवाओं को इन विचारों का दूत बनकर समाज में उनका प्रसार करना चाहिए।
प्रो. अरविंद परीक ने विषय प्रवर्तन तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो. मोनिका भटनागर किया इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सुभाष चंद्र डॉ आशीष पारीक, डॉ असीम जयंती, डॉ लारा शर्मा, डॉ राजू शर्मा सहित विश्वविद्यालय के अतिथि शिक्षक छात्र उपस्थित रहे।