फिल्म अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी और पति राज कुंद्रा के खिलाफ एलओसी जारी

मुंबई। मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने फिल्म अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी और उनके व्यवसायी पति राज कुंद्रा के खिलाफ 60 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) जारी किया है।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक हवाई अड्डों को इस सर्कुलर के बारे में सूचित कर दिया गया है ताकि जांच के दौरान दंपती को देश छोड़ने से रोका जा सके।

गौरतलब है कि लोटस कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज के 60 वर्षीय निदेशक दीपक कोठारी की शिकायत के आधार पर 14 अगस्त को जुहू थाने में मामला दर्ज किया गया था। अपनी शिकायत में कोठारी ने आरोप लगाया है कि 2015 से 2023 के बीच इस सेलिब्रिटी दंपती ने अपनी बंद हो चुकी कंपनी बेस्ट डील टीवी प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े एक कर्ज-सह-निवेश सौदे में उनसे 60.48 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की।

प्राथमिकी के अनुसार कोठारी की जान-पहचान इस जोड़े से 2015 में बिचौलिए राजेश आर्य के जरिए हुई थी। आर्य ने राज कुंद्रा और शिल्पा शेट्टी की कंपनी से परिचित होने का दावा करते हुए कोठारी के कार्यालय में संपर्क किया था। आर्य ने आरंभ में बेस्ट डील टीवी प्राइवेट लिमिटेड के लिए 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से 75 करोड़ रुपये का कर्ज मांगा था। गौरतलब है कि बेस्ट डील टीवी एक ऑनलाइन शॉपिंग और होम रिटेल प्लेटफॉर्म है जो लाइफस्टाइल, फैशन, होम, हेल्थ और ब्यूटी उत्पादों का कारोबार करता है।

उच्च कराधान से बचने के लिए कोठारी को मासिक रिटर्न और मूलधन की अदायगी का वादा करते हुए इस व्यवस्था को कर्ज से ‘निवेश’ में बदल दिया गया। अप्रैल 2015 और मार्च 2016 के बीच कोठारी ने एक शेयर सदस्यता समझौते के तहत 31.95 करोड़ रुपए और एक पूरक समझौते के तहत 28.53 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए। कथित तौर पर सभी धनराशि बेस्ट डील टीवी के एचडीएफसी बैंक खातों में जमा की गई।

अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पास लेन-देन के दौरान बेस्ट डील टीवी प्राइवेट लिमिटेड में लगभग 87.61 प्रतिशत इक्विटी थी, जबकि राज कुंद्रा भी निदेशक थे। अप्रैल 2016 में शेट्टी ने कोठारी को एक लिखित व्यक्तिगत गारंटी प्रदान की जिसमें उन्होंने आश्वासन दिया कि पैसा 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस किया जाएगा जिससे वह कंपनी निदेशक के रूप में अपनी भूमिका से परे कर्ज के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी हो गईं।

सितंबर 2016 में शेट्टी ने कोठारी को सूचित किए बिना बेस्ट डील टीवी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे शिकायतकर्ता को झटका लगा। कोठारी को बाद में पता चला कि कंपनी को विक्रेता एस्थेटिक सॉल्यूशंस, जिसका प्रतिनिधित्व हीना प्रकाश देसाई करती हैं, द्वारा दायर 1.28 करोड़ रुपए की दिवालियापन कार्यवाही का सामना करना पड़ रहा है। यह मामला दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता, 2016 की धारा 9 के तहत दायर दिवालिएपन मामले को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण(एनसीएलटी) मुंबई ने मई 2017 में स्वीकार किया था।

बेस्ट डील टीवी के खिलाफ दिवालिएपन की कार्यवाही कई वर्षों तक चली और एनसीएलटी मुंबई में कई सुनवाइयों के बाद यह मामला लंबित रहा। नवंबर 2024 तक कॉरपोरेट देनदार के विघटन से संबंधित कार्यवाही जारी रही और समाधान के असफल प्रयासों के बाद कंपनी अंततः परिसमापन में चली गई। चूंकि विवादित राशि 10 करोड़ रुपए से अधिक हो गई थी, इसलिए जांच ईओडब्ल्यू को सौंप दी गई।

आरंभिक जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने शेट्टी, कुंद्रा और एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 403 (संपत्ति के बेईमानी से गबन के लिए), धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात के लिए), और धारा 34 (साझा आशय के लिए) के तहत मामला दर्ज किया। कोठारी की शिकायत में आरोप लगाया गया है कि वादे के अनुसार धन का उपयोग व्यवसाय विस्तार की बजाय व्यक्तिगत खर्चों में किया गया। धन की वसूली के उनके बार-बार के प्रयास कोविड-19 महामारी के दौरान और भी जटिल हो गए तथा विलंबित हो गए, जिससे भुगतान न करने की अवधि बढ़ गई।

राज कुंद्रा और शिकायतकर्ता दीपक कोठारी के बीच एक ऑडियो रिकॉर्डिंग सोशल मीडिया पर सामने आई है। हालांकि इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं हुई है। इस रिकॉर्डिंग में कोठारी यह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि उन्होंने जो पैसा दिया था वह ‘इक्विटी निवेश’ के लिए था, जबकि राज कुंद्रा की आवाज़ में कहा गया है कि उन्होंने कोठारी से कोई ऋण नहीं लिया था।

शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा के वकील प्रशांत पाटिल ने सभी आरोपों को निराधार और दुर्भावनापूर्ण बताते हुए खारिज कर दिया है और कहा है कि यह मामला पूरी तरह से दीवानी प्रकृति का है और 4 अक्टूबर 2024 को राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण, मुंबई द्वारा पहले ही इस पर निर्णय लिया जा चुका है। उनके वकील के अनुसार यह एक पुराने व्यावसायिक लेन-देन से संबंधित है जिसमें कंपनी वित्तीय संकट में आ गई थी और एनसीएलटी में लंबी कानूनी लड़ाई में उलझी रही थी।

बचाव पक्ष का कहना है कि उनके लेखा परीक्षकों ने विस्तृत नकदी प्रवाह विवरण सहित सभी सहायक दस्तावेज जांच एजेंसियों को उपलब्ध करा दिए हैं। उनका दावा है कि इसमें कोई आपराधिकता शामिल नहीं है और वे अपने मुवक्किलों को बदनाम करने के प्रयासों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रहे हैं।