नए कानूनों पर अमल के साथ ही न्याय में आसानी में भी बहुत बड़ा परिवर्तन होगा : अमित शाह

जयपुर। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जीवन जीने में आसानी (ईजऑफलिविंग) के लिए देश में बहुत सारे परिवर्तन किए हैं और तीन नए आपराधिक कानूनों पर अमल के साथ ही न्याय में आसानी (ईज ऑफ जस्टिस) में भी बहुत बड़ा परिवर्तन होगा।

शाह सोमवार को यहां इन नए कानूनों पर लगाई प्रदर्शनी का उद्घाटन एवं 9300 करोड़ के विभिन्न विकास कार्यों के लोकार्पण एवं शिलान्यास कार्यक्रम के अवसर पर अपने संबोधन में यह बात कही। उन्होंने कहा कि आज यहां देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन करने वाले और संविधान प्रदत्त अधिकारों को देश की जनता को सुलभ तरीके से उपलब्ध कराने वाले तीन नए आपराधिक कानूनों का परिचय कराने वाली एक अत्याधुनिक प्रदर्शनी शुरू हो रही है।

उन्होंने कहा कि आपराधिक न्य़ाय प्रणाली से जुड़े सभी लोगों को यह प्रदर्शनी ज़रूर देखनी चाहिए क्योंकि आने वाले दिनों में हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली में होने वाले बहुत बड़े परिवर्तनों को इस प्रदर्शनी में बहुत सटीक तरीके से दिखाया गया है।

उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शनी के माध्यम से लोग जान सकेंगे कि 160 साल पुराने कानूनों को समाप्त कर मोदी जो तीन नए कानून लाए हैं, उनके पूर्णतः लागू होने के बाद किसी भी एफआईआर में तीन साल में न्याय मिल सकेगा। शाह ने कहा कि नए आपराधिक कानून देश की जनता को समय पर, सुलभ तरीके से न्याय देने का काम करेंगे।

शाह ने कहा कि तीन नए कानूनों के माध्यम से हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली दंड की जगह न्याय से प्रेरित होकर काम करेगी। उन्होंने कहा कि पूरे देश में इन कानूनों का सटीक क्रियान्वयन हो रहा है और भारत सरकार के गृह मंत्रालय के माध्यम से सभी राज्यों को इन कानूनों पर अमल में सहायता और फॉलोअप करने में मार्गदर्शन मिल रहा है।

अंग्रेज़ों द्वारा, उनकी संसद में पारित हुए और अंग्रेज़ी शासन को बचाने के लिए बने कानूनों की जगह भारतीयों द्वारा बनाए गए, भारतीय संसद में पारित हुए और भारतीयों को न्याय दिलाने वाले कानूनों की शुरुआत एक ऐतिहासिक बात है।

उन्होंने कहा कि इन नए आपराधिक कानूनों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए अलग अध्याय जोड़ा गया है, ई-एफआईआर और ज़ीरो एफआईआर का प्रावधान किया गया है, सभी ज़ब्ती की वीडियोग्राफी अनिवार्य की गई है और सात साल से अधिक सज़ा के प्रावधान वाले अपराधों में फॉरेंसिक जांच को अनिवार्य किया गया है।

उन्होंने कहा कि राजस्थान में सज़ा कराने की दर 42 प्रतिशत थी, जो इन कानूनों के अमल में आने के एक ही साल में बढ़कर 60 प्रतिशत हो गई है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इन कानूनों पर पूर्ण अमल होने के बाद यह दर 60 प्रतिशत से बढ़कर 90 प्रतिशत तक हो जाएगी।

शाह ने कहा कि इन कानूनों पर सुचारू अमल के लिए 2020 में ही नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी बना दी गई थी और देशभर में इसके एफिलिएटिड कॉलेज खोलकर वैज्ञानिक जांच करने वाले युवाओं का एक नया कार्यबल बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानूनों में आतंकवाद, मॉब लिंचिंग, संगठित अपराध और डिजिटल अपराध की व्याख्या हमारी न्यायिक प्रणाली में पहली बार की गई है। उन्होंने कहा कि इन कानूनों में कुल मिलाकर 29 से अधिक जगह पर समयसीमा तय की गई है।

उन्होंने कहा कि देश छोड़कर भागे हुए अपराधियों पर उनकी अनुपस्थिति में सज़ा दिलाने के लिए ट्रायल इन एब्सेंशिया का भी प्रावधान किया गया है। श्री शाह ने कहा कि 21वीं शताब्दी का सबसे बड़ा रिफॉर्म भारत के तीन नए आपराधिक कानूनों की शुरुआत है। इन कानूनों पर पूर्ण अमल के बाद हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली दुनिया में सबसे आधुनिक आपराधिक न्याय प्रणाली बन जाएगी।

उन्होंने कहा कि इन कानूनों के लागू होने के बाद देश में लगभग 50 प्रतिशत चार्जशीट समय पर होने लगी हैं और अगले साल में यह दर 90 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी। लाखों पुलिस अधिकारियों, हज़ारों न्यायिक अधिकारियों, एफएसएल अधिकारियों और जेल के कर्मचारियों की ट्रेनिंग का काम भी पूरा कर लिया गया है।