माइनिंग लिज निरस्त करने को पिंडवाड़ा में उपखंड कार्यालय का घेराव

पिंडवाड़ा पंचायत समिति में माइनिंग लिज निरस्त करने को लेकर उपखंड अधिकारी कार्यालय का घेराव करते ग्रामीण।

सबगुरु न्यूज-पिंडवाडा। पिंडवाड़ा पंचायत समिति की चार ग्राम पंचायतों की करीब आठ सौ हेक्टेयर भूमि को लाइम स्टोन माइनिंग के लिए दिए जाने की प्रक्रिया सरकार ने शुरू की है। इसे लेकर बुधवार को इन चार ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों ने पिंडवाड़ा उपखंड मुख्यालय पर पहुंचकर उपखंड अधिकारी कार्यालय का घेराव किया।

पिंडवाड़ा तहसील की रोहिड़ा, वाटेरा और भारजा तथा आबूरोड पंचायत समिति की तरुंगी ग्राम पंचायत में राज्य सरकार ने लाइम स्टोन की माइनिंग एक लिए लीज पर दिया है। ये प्रक्रिया 2011 से ही शुरू हो गई थी। लेकिन, माइनिंग नियमों में केंद्र सरकार द्वारा बदलाव करने के कारण राज्य सरकार माइनिंग नियमों के प्रावधानों के तहत इसे पहले ही निरस्त कर दिया था। लेकिन, माइनिंग लीजधारक कंपनी कमलेश मेटा कास्ट प्राईवेट लिमिटेड ने इस निर्णय को खान न्यायाधिकरण में चुनौती दी।

 

खान न्यायाधिकरण के द्वारा राज्य के आदेश को निरस्त कर दिया गया। इसके बस भी राज्य सरकार ने कंपनी को खनन क्षेत्र का अधिग्रहण नहीं सौंपा। इससे कंपनी राजस्थान हाई कोर्ट गई । वहां से राज्य सरकार को खान न्यायाधिकरण के निर्णय के अनुसार कंपनी को कब्जा सौंपने का आड़े दिया गया। इसी की पालना में 19 सितंबर को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की विशिष्ट समिति के प्रावधानुसार जनसुनवाई रखी गई थी। इसी समय ग्रामीणों को पहली बार पता चला कि चार ग्राम पंचायतों की आठ सौ हैक्टेयर भूमि को माइनिंग लिज के लिए आवंटित किया जा रहा है। इसमें करीब 522 हेक्टेयर निजी भूमि हुआ। जिसे अधिग्रहण किया जाएगा।

ग्रामीणों ने 19 सितंबर की जनसुनवाई में बढ़चढकर हिस्सा लिया और आपत्तियां जताई। इसके बाद हस्ताक्षर अभियान, ज्ञापन, आपत्तिया सभाओं का दौर चलता रहा। इसी दौरान ग्रामीणों ने माइनिंग की लीज निरस्त करने को लेकर उपखंड अधिकारी के कार्यालय के घेराव करने का निर्णय किया। बुधवार के इन चारों प्रभावित ग्राम पंचायतों के ग्रामीण ट्रैक्टरों और निजी वाहनों से पिंडवाड़ा पहुंचे। यहां आकर इन लोगों ने पर्यावरण, स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य, जंगल आदि की बर्बादी रोने के लिए इस माइनिंग लिज को निरस्त करने के अपने संकल्प को दोहराया। बाद में उपखंड अधिकारी को ज्ञापन दिया। इसमें लीज आवंटन में बरती गई अनियमितता और नियमों की अवहेलना समेत इससे होने वाले नुकसानों को अवगत करते हुए ली निरस्त करने की मांग की गई।