दिल्ली कार बम विस्फोट की जांच में सीबीआई और ई़डी भी शामिल

नई दिल्ली। दिल्ली कार बम विस्फोट मामले की जांच का दायरा बढ़ गया है और अब सरकारी सूत्रों ने संकेत दिया है कि वित्तीय और मनी लॉंड्रिंग के मामले की जांच के लिए संघीय जांच एजेंसियों, सीबीआई और ईडी, को भी इसमें शामिल किया गया है।

गुरुवार को एनआईए, हरियाणा पुलिस, दिल्ली पुलिस, जे एंड के पुलिस और यूपी एटीएस तलाशी अभियान में जुटी रहीं, जिसके परिणामस्वरूप कुछ और संदिग्ध डॉक्टरों को हिरासत में लिया गया और चार वाहनों को जब्त किया गया। इन वाहनों का इस्तेमाल कथित रूप से लाल किला विस्फोट मामले में किया गया था।

जांचकर्ताओं ने दावा किया है कि चिकित्सक टेरर मॉड्यूल 6 दिसंबर को आतंकी वारदात करना चाहता था। कुल आठ चिकित्सक शुरुआत में इस टेरर मॉड्यूल का हिस्सा थे। पूरे दिल्ली-एनसीआर में वे 32 जगह पर आतंकी वारदात को अंजाम देने वाले थे।

जांचकर्ताओं ने जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मॉड्यूल से अब चार कारों का संबंध जोड़ा है। फरीदाबाद क्राइम ब्रांच ने इन सभी वाहनों को बरामद कर लिया है। इन गाड़ियों में एक स्विफ्ट डिज़ायर कार भी शामिल है, जो डॉ. शाहीन के नाम पर रजिस्टर्ड है, लेकिन जिसका इस्तेमाल डॉ. मोज़म्मिल करता था। यही कार सबसे पहले ज़ब्त की गई थी और इसमें से हथियार भी बरामद किए गए थे।

दूसरी कार वही आई-20 बतायी जा रही है, जो कथित रूप से दिल्ली विस्फोट में इस्तेमाल की गई थी। तीसरी कार इकोस्पोर्ट है, जो फरीदाबाद में मिली थी, और चौथी एक ब्रीज़ा कार है। चारों कारों को जब्त करने के बाद टेरर मॉड्यूल की गतिविधियों की जांच का काम लगातार तेज होता जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार मुख्य आरोपियों डॉ. मुजम्मिल, डॉ. आदिल, डॉ. उमर और डॉ. शाहीन ने मिलकर करीब 20 लाख रुपए कैश जमा किए औऱ डॉ. उमर नबी के हवाले कर दिए। इसी धनराशि में से तीन लाख रुपए का इस्तेमाल बाद में आईईडी तैयार करने के लिए गुरुग्राम और नूंह के इलाकों से 20 क्विंटल से ज़्यादा एनपीके खाद खरीदने में किया गया था।

जांच में डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल के बीच पैसों को लेकर हुए वित्तीय विवाद का भी पता चला है। वारदात की योजना बनाने के लिए डॉ. उमर ने एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप सिग्नल पर एक गुप्त ग्रुप बनाया था, जिसमें दो-चार सदस्य शामिल थे। डॉ. आदिल, जिसकी गिरफ्तारी से एजेंसियों को फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल का पता चला था, वह हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी आया था।

जांच में इस बात की पुष्टि हुई है कि वह कथित घटनाओं से ठीक पहले 11 अक्टूबर को श्रीनगर से दिल्ली आया था। डॉ. शाहीन से पूछताछ के दौरान डॉ. फारूक का नाम सामने आया था। डॉ. शाहीन को लखनऊ से हिरासत में लिया गया था, डॉ. मुजम्मिल जिस कार का इस्तेमाल कर रहा था, वह उसी के नाम पर थी। एक टीम हापुड़ भेजी गई थी और डॉ. फारूक को जीएस मेडिकल कॉलेज से हिरासत में लिया गया। डॉ. फारूक ने अल-फलाह विश्वविद्यालय से पढ़ाई की थी।

इससे पहले दिन में, एजेंसियों ने अल फलाह विश्वविद्यालय स्थित डॉ. उमर नबी और डॉ. मुजम्मिल के कमरे से बरामद डायरियों की जांच की। सूत्रों ने दावा किया है कि डायरी में ऑपरेशन शब्द के बारे में कोड वर्ड लिखे हुए थे। एक सूत्र ने बताया कि ये डायरियां मंगलवार और बुधवार को अल फलाह विश्वविद्यालय परिसर के अंदर से मिली थीं। एक डॉ. उमर के कमरा नंबर 4 से और दूसरी डॉ. मुजम्मिल के कमरा नंबर 13 से मिली।

कमरा नंबर 13 वह कमरा था जहां वे एकत्र होते थे और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की योजना बनाते थे। दूसरी डायरी मुजम्मिल के कमरे से बरामद हुई।

सूत्र ने बताया कि बरामद की गई डायरियों और नोटबुक में कोड वर्ड लिखे हैं, जिनमें 8 नवंबर से 12 नवंबर के बीच की तारीखों का उल्लेख है। डायरियों में ऑपरेशन शब्द कई बार लिखा है। लाल किले पर विस्फोट स्थल से 500 मीटर की दूरी पर स्थित एक बाज़ार के गेट की छत पर एक कटा हुआ हाथ मिला है। शरीर का यह हिस्सा मिलने के बाद पुलिस ने इस इलाके की घेराबंदी कर दी।

गुरुवार सुबह एक और विस्फोट पीड़ित की मौत हो गई। मृतक की पहचान बिलाल के रूप में हुई है। दिल्ली पुलिस अधिकारियों ने बताया कि उन्हें अस्पताल से उसकी मौत की सूचना मिली थी।