अजमेर जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ की 34वीं वार्षिक आमसभा
अजमेर। राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागडे ने सहकारिता को सबके समान विकास से जुड़ा आंदोलन बताया है और कहा है कि यह लाभ कमाने के लिए नहीं है। इसका उद्देश्य काश्तकारों और पशुपालकों का जीवन स्तर उन्नत करना है।
बागडे शुक्रवार को अजमेर जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ की 34वीं वार्षिक आमसभा एवं खुले अधिवेशन में भाग लेते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि सहकारिता आन्दोलन सरदार वल्लभ भाई पटेल की देन है। इसके साथ इस आन्दोलन को मूर्त रूप देने में डाॅ वर्गीस कुरियन का भी महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि सहकारिता का उद्देश्य लाभ कमाना नहीं होना चाहिए। भले ही संघ को कम मुनाफा हो, लेकिन सदस्य पशुपालकों को अधिक लाभ के साथ पूरा भुगतान दे।
उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादक से सम्बन्धित कार्य में महिलाएं बहुतायत से जुड़ी होती हैं। भारतीय महिलाओं में वित्त प्रबन्धन की नैसर्गिक योग्यता होती है। इसे देखते हुए अजमेर डेयरी को चाहिए कि दुग्ध का अधिकतम भुगतान महिलाओं के खाते में प्राथमिकता से किया जाए। भारत सर्वाधिक दुग्ध उत्पादक देश है। इसके अनुपात में प्रति व्यक्ति दुग्ध खपत कम है। इसे बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। पशुपालकों को भी अपने बच्चों को पहले दूध पिलाने के उपरान्त ही दूध बेचना चाहिए।
बागडे ने कहा कि डेयरी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मूलाधार है। इसे गांव का कुटीर उद्योग कह सकते हैं। पशुओं के लिए आवश्यक चारे की कई कारणों से कमी हो सकती है। ऐसे में पशुपालकों को चारा उत्पादन की नवीन तकनीक एवं प्रजातियां उपयोग में लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की देशी नस्ल की गायें अच्छी गुणवत्ता का दूध देती हैं। इन गायों को अमेरिका और इजरायल में ले जाकर नई प्रजातियां बनाई गई है। उनके परिणाम भी अच्छे रहे हैं।
भारतीय गाय का दूध रोग प्रतिरोधक, पौष्टिक एवं अधिक वसा युक्त होता है। संकर गायों के दूध में वह परिणाम नहीं मिलता है। गायों को बाहर खुला छोड़ने से दुग्ध उत्पादन में गिरावट आती हैं। राजस्थान दुग्ध उत्पादन में अभी दूसरे स्थान पर हैं। थोड़ा सा प्रयास करने पर यह राज्यों में प्रथम स्थान पर हो सकता है।




