चेक अनादरण मामले में दोषी सुधीर खेतान की सजा बरकरार

जयपुर। राजस्थान में कंपनी से सेवानिवृत्ति के समय ग्रेच्युटी के रूप में मिले चेकों के अनादरण से जुड़े मामले में जयपुर की अदालत ने आरोपी कंपनी के तत्कालीन प्रबंधक निदेशक सुधीर खेतान की याचिका खारिज करते हुए निचली अदालत द्वारा सुनाये गए दो वर्ष के कारावास और छह लाख रुपए के जुर्मानेे की सजा को बरकरार रखा है।

न्यायाधीश प्रदीप कुमार ने बुधवार को अपने निर्णय में कहा कि चेक अनादरण मामले में आरोपी दोष सिद्ध होने से बच नहीं सका। इससे पहले न्यायालय ने चार सितंबर 2024 को सुधीर खेतान को चेक अनादरण का दोषी करार दिया था।

यह मामला कंपनी में पूर्व कर्मचारी भंवरलाल सैन ने दायर किया गया था। सेवानिवृत्ति के दौरान उन्हें ग्रेच्युटी के भुगतान के लिए दिए गए चेक अनादरित हो गए थे।

परिवादी की ओर से एडवोकेट कुलदीप शर्मा ने पैरवी करते हुए तर्क दिया कि निचली अदालत का निर्णय विधि सम्मत है और मौखिक एवं दस्तावेजी साक्ष्यों के सही मूल्यांकन पर आधारित है। उन्होंने कहा कि अभियुक्त द्वारा यह दलील देना कि कंपनी घाटे में चली गई और बैंकों ने उसे नीलाम कर दिया, दायित्व से मुक्त नहीं करता।

अदालत ने पाया कि चेक अनादरण का अपराध साबित होता है और निचली अदालत का निर्णय उचित है। इस प्रकार, सुधीर खेतान की अपील खारिज कर दी गई, और उनके खिलाफ पारित सजा यथावत रखी गई।