देश में सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अद्भुत दौर, नई पीढ़ियों को मिलेगी प्रेरणा : मोदी

पणजी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को कहा कि देश आज एक अद्भुत सांस्कृतिक पुनर्जागरण के दौर से गुजर रहा है और यह जागृति आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जुड़ने के लिए प्रेरित करेगी।

प्रधानमंत्री ने समाज में एकता की भावना को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि विकसित भारत का रास्ता एकता की राह से ही आगे बढ़ेगा। वह दक्षिण गोवा में पर्तगाली में श्री संस्थान गोकर्ण पर्तगाली जीवोत्तम मठ की स्थापना के के 550 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

मोदी ने द्वैत दर्शन के इस मठ द्वारा वहां स्थापित भगवान श्रीराम की 77 फुट ऊंची भव्य कांस्य प्रतिमा का अनावरण भी किया। मोदी ने तीन दिन पहले अयोध्या में राम मंदिर पर धर्मध्वजा के प्रतिष्ठापन के बाद अपने लिए यहां प्रभु श्रीराम की भव्य मूर्ति और रामायण पर आधारित थीम पार्क के अनावरण और उद्घाटन का सु-अवसर प्राप्त होने का उल्लेख करते हुए कहा कि आज भारत एक अद्भुत सांस्कृतिक पुनर्जागरण का साक्षी बन रहा है।

उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का पुनर्स्थापन, काशी विश्वनाथ धाम का भव्य पुनरुद्धार, और उज्जैन में महाकाल महालोक का विस्तार, यह सब हमारे राष्ट्र की उस जागरूकता को प्रकट करते हैं जो अपनी आध्यात्मिक धरोहर को नई शक्ति के साथ उभार रही है। रामायण सर्किट, कृष्ण सर्किट, गया जी के विकास कार्य, और कुंभ मेले का अभूतपूर्व प्रबंधन, ये सभी उदाहरण बताते हैं कि आज का भारत, अपनी सांस्कृतिक पहचान को नए संकल्पों और नए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कि यह जागृति भविष्य की पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जुड़े रहने की प्रेरणा देती है। इस अवसर पर उन्होंने सामाजिक एकता के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि विकसित भारत का रास्ता एकता से होकर जाता है। जब समाज जुड़ता है, जब हर क्षेत्र–हर वर्ग एक साथ खड़ा होता है, तभी राष्ट्र बड़ी छलांग लगाता है।

उन्होंने कहा कि संस्थान गोकर्ण पर्तगाळी जीवोत्तम मठ का प्रमुख ध्येय लोगों को जोड़ना, मन को जोड़ना, परंपरा और आधुनिकता के बीच सेतु बनाना है। उन्होंने विकसित भारत की यात्रा में इस मठ को प्रेरणा का एक प्रमुख केंद्र बताया।

इस मठ का 550 साल का अनुभव हमें बताता है, परंपरा अगर जीवित रहे, तो समाज आगे बढ़ता है, और परंपरा तभी जीवित रहती है, जब वो समय के साथ अपनी जिम्मेदारी बढ़ाती है। इस मठ ने 550 वर्षों में समाज को जो दिया है, अब वही ऊर्जा हमें आने वाले भारत के निर्माण में लगानी है।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत आज एक निर्णायक दौर से गुजर रहा है। देश की युवा शक्ति, हमारा बढ़ता आत्मविश्वास, और सांस्कृतिक जड़ों के प्रति हमारा झुकाव, ये सब मिलकर एक नए भारत का निर्माण कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि विकसित भारत का हमारा संकल्प तभी पूरा होगा, जब आध्यात्म, राष्ट्र-सेवा और विकास की तीनों धाराएं साथ चलें। गोवा की ये भूमि, और यहां का ये मठ, उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

श्रीमद नारायणतीर्थ स्वामीजी द्वारा, 1475 में स्थापित यह मठ उसी ज्ञान-परंपरा का विस्तार है। और उसका मूल स्रोत जगद्गुरु श्री मध्वाचार्य जैसे अद्वितीय आचार्य हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज इस मठ के साथ जो नए आयाम जुड़े हैं, वे आने वाली पीढ़ियों के लिए ज्ञान, प्रेरणा और साधना के स्थायी केंद्र बनने जा रहे हैं।

यहां एक संग्रहालय का विकास किया जा रहा है और आधुनिक तकनीक से सुसज्जित 3डी थिएटर है। इनके माध्यम से मठ अपनी परंपरा को संरक्षित करते हुए नई पीढ़ी को अपनी परंपराओं से जोड़ रहा है।

मोदी ने कहा कि इस मठ की एक पहचान, वो सेवा भावना है जिसने सदियों से समाज के हर वर्ग को सहारा दिया है। सदियों पहले जब इस क्षेत्र पर विपरीत परिस्थितियाँ आईं, जब लोगों को अपने घर-परिवार छोड़कर नए प्रदेशों में शरण लेनी पड़ी, तब इसी मठ ने समुदाय को सहारा दिया। उन्हें संगठित किया और नए स्थानों पर मंदिरों, मठों और आश्रय स्थलों की स्थापना की। इस मठ ने धर्म के साथ-साथ मानवता और संस्कृति की भी रक्षा की।

मोदी अपने सामाजिक राजनीतिक जीवन में गोवा की भूमि से जुड़ाव का विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मेरे जीवन के कई पडाव ऐसे हैं, जिसमें गोवा बड़ा महत्वपूर्ण स्थान पर रहा है, ये कैसे हुआ होगा वो मैं तो नहीं जानता, लेकिन ये सच्चाई है कि हर टर्निंग पॉइंट पर यह गोवा की भूमि ही मुझे कहां से कहां ले जाती रही है।