सिरोहीः राम के नाम पर सत्ता पाई, कृष्ण की जमीन गंवाई!

सिरोही का रामझरोखा मंदिर जिसकी जमीनों को बचाने लिए इसकी ट्रस्ट की सलाहकार और प्रबंधन समिति ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया है।

सबगुरु न्यूज-सिरोही। राजस्थान विधानसभा का चुनाव 2023 में हुआ। भाजपा सत्ता में काबिज हुई। चुनाव में राम मंदिर भी एक मुद्दा था। सिरोही विधानसभा का चुनाव भी राम मंदिर के नाम पर लडा गया। इस विधानसभा के भाजपा प्रत्याशी ओटाराम देवासी ने सिरोही शहर के प्रमुख रामझरोखा मंदिर के सामने के मैदान में खडे होकर राम मंदिर की दुहाई पर वोटों की अपील की थी। अब रामनाम पर सत्ता में आए संगठन के राज में रामझरोखा के भगवान कृष्ण की जमीन को खुर्दबुर्द करने का प्रपंच चल दिया गया है।

आरोप ये लग रहा है कि रामझरोखा में भगवान कृष्ण की मूर्ति के दाहिने हाथ के हिस्से की जमीन एक निजी स्कूल को लीज पर दे दी गई है। शहर के इस प्रमुख हिन्दू मंदिर की इन जमीनों को अपने नाम करवाने का आरोप उन्हीं सस्थाओं पर लग रहा है जो अपने आपको हिन्दुओं और उनके मंदिरों का सबसे बडा संरक्षक बताकर प्रोजेक्ट करती आई हैं। ये मामला सामने आने पर इस मंदिर की जमीनों का संधारण करने वाली ट्रस्ट की सलाहकार एवं प्रबंधन समिति ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर रामझरोखा की जमीन के लिए समिति की सहमति के बिना की गई लीज और पट्टे समेत सभी कार्रवाई को रद्द करने की मांग की है। सिरोही के व्हाट्सएप समूहों में इस जमीन को खुर्दबुर्द करने को लेकर स्वयंभू हिन्दुवादी संगठनों की चुप्पी पर सवालिया निशान उन्हीं के संगठनों के कार्यकर्ता लगा रहे हैं। अब कांग्रेस को इन स्वयंभू हिन्दू वादी संगठनों को घेरने  मौका मिल गया है।

– शिक्षा समिति को 99 साल की लीज

रामझरोखा और राम-लक्ष्मण मंदिर की जमीनों का संधारण और प्रबंधन रामझरोखा मंदिर ट्रस्ट एवं राम-लक्ष्मण मंदिर ट्रस्ट के पास है। ट्रस्ट की एक सलाहकार एवं प्रबंधन समिति गठित की हुई है। इन दोनों मंदिरों की संपत्ति के समस्त अधिकार इस समिति में निहित है, किसी एक व्यक्ति के पास नहीं। इन दोनों मंदिरों की संपत्तियों का संधारण और प्रबंधन इसी समिति के पास है। इस समिति में रामझरोखा और राम-लक्ष्मण मंदिर के महंत की भी एक घटक हैं। लेकिन, महंत को किसी भी तरह के स्वतंत्र अधिकार नहीं दिए हुए हैं।

इसका प्रबंधन करने वाली समिति के सदस्यों ने जिला कलेक्टर को दिए अपने ज्ञापन में ये आरोप लगाया है कि महंत ने सलाहकार समिति की सहमति के बिना ही रामझरोखा की बेशकीमती जमीनों का पट्टा और लीज कर दिया है। सबगुरु न्यूज को 99 साल की लीज डीड मिली है। नोटेरी की हुई ये लीज डीड निजी शिक्षा समिति के अध्यक्ष और महंत के बीच हुई बताई जा रही है।

रामझरोखा मंदिर की जमीनो के प्रबंधन को लेकर चर्चा करते सलाहकार समिति के सदस्य।

-इतना हिस्सा इतनी राशि में किया एग्रीमेंट

स्कूल की शिक्षा समिति के अध्यक्ष और मंदिर पक्ष के महंत के बीच ये लीज डीड पांच सौ रुपये के स्टाम्प पर 2 जुलाई 2025 को हुई है। इसे नोटेरी करवाया गया है। 22 बिन्दु की इस लीज डीड के अनुसार रामझरोखा मंदिर परिसर के दक्षिण भाग में निर्मित भवन व खाली जमीन को लेकर सहमति पत्र बना है। बिंदु संख्या 4 के अनुसा करीब पंद्रह सौ वर्गफीट से ज्यादा की इस जमीन और भवन की 99 साल की लीज 75 लाख रुपये में दी गई है। इस हिसाब से शिक्षा समिति महंत को सालाना इस जमीन की 75 हजार 757 रुपये और मासिक छह हजार 313 रुपये लीज राशि अदा करेगी। लीज अवधि 1 जून 2025 से 31 मई 2124 तक होगी।

इसी लीज एग्रीमेंट में ये दावा किया गया है कि इस जमीन को रामझरोखा राजगुरुद्वारा स्थान को किसी भी व्यक्ति अथवा संस्थान या कंपनी को लीज पर देने, विक्रय करने, गिरवी, रहन, दान अन्य प्रकार से हस्तांतरित करने का अधिकारी प्राप्त है। इन मंदिरों की संपत्तियों का प्रबंधन करने वाली प्रबंधन एवं सलाहकार समिति का जिला कलेक्टर को दिए गए ज्ञापन में बताया गया है कि महंत को अकेले मंदिर की जमीन को हस्तांतरित करने, बेचने, किराए पर देने आदि का कोई अधिकार नहीं है। इसके लिए सलाहकार एवं प्रबंधन समिति अधिकृत है।