जयपुर। राजस्थान में लगातार बढ़ रहे अवैध खनन पर सख्त रुख अपनाते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य में जारी सभी अल्पावधि खनन अनुज्ञा पत्रों को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश दिया।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा और न्यायाधीश बलजिंदर सिंह संधू की खंडपीठ ने बुधवार काे यह निर्णय ग्राम आमला की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता जीआर पूनिया और संजय रैवर ने न्यायालय को बताया कि राज्य सरकार द्वारा जारी अल्पावधि अनुमति अनुज्ञा पत्रों की अवधि समाप्त हो जाने के बावजूद कई कंपनियां बड़े पैमाने पर अवैध खनन कार्य कर रही हैं। उन्होंने कहा कि विभागीय निगरानी की कमी के कारण पर्यावरण, कृषि भूमि और सरकारी राजस्व को भारी नुकसान पहुंच रहा है।
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता महावीर बिश्नोई ने नोटिस स्वीकार करते हुए जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया अनुज्ञा पत्र जारी करने की प्रक्रिया ही संदिग्ध प्रतीत होती है और अनुज्ञा पत्र समाप्त होने के बाद भी खनन जारी रहना गंभीर प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है।
इसके बाद हाईकोर्ट ने अगले आदेश तक किसी भी अल्पावधि अनुज्ञापत्र के आधार पर खनन नहीं करने का निर्देश देते हुए कहा कि जहां भी अवैध खनन पाया जाएगा, संबंधित पुलिस अधिकारी तुरंत खदान को सील करेंगे और खनन विभाग उसका नियंत्रण अपने हाथ में लेगा। साथ ही जिस क्षेत्र में अवैध खनन मिलता है वहां संबंधित खनन अभियंता की व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय की जाएगी।
इसके साथ ही खंडपीठ ने सभी खनन अभियंताओं को पिछले एक वर्ष में जारी अल्पावधि अनुज्ञा पत्रों और उनकी अवधि समाप्त होने के बाद की स्थिति का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया।



