
सबगुरु न्यूज-सिरोही। सिरोही के प्रमुख रामझरोखा मंदिर की जमीनों को खुर्दबुर्द करने का मामला धीरे-धीरे गर्माने वाला है। मंदिर की जमीनों को हडपने के मामले की आंच राजनीतिक संगठन और हिन्दुवादी संगठनों तक पहुंचने वाली है। इनकी चुप्पी ने इन्हें और ज्यादा संदिग्ध बना दिया है। कृष्ण मंदिर परिसर की ही जमीन को एक निजी स्कूल को 99 साल की लीज के माध्यम से हस्तांतरित कर दिया गया। इस मामले में तो दो ही पार्टी थी। महंत और निजी शिक्षा समिति के अध्यक्ष। लेकिन, इसके बाद जो मामला हुआ इसमें सत्ता और शासन में बैठे कार्मिकों के गठजोड को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सत्ता और नगर परिषद सिरोही का सीधा और परोक्ष हस्तक्षेप इस मामले में स्पष्ट दिख रहा है।
-आठ आवासीय पट्टे
रामझरोखा मंदिर की जमीन को 99 साल की लीज हस्तांतरित करना तो धर्मस्थानों की जमीन खुर्दबुर्द करने की पहली सीढी थी। इसकी आड में एक बडी जमीन हथियानी अभी बाकीथी। इसे अंतिम रूप दिया गया 7 अगस्त 2025 को। इमसें सिरोही के नेताओं और नगर परिषद की भूमिका सबसे ज्यादा संदिग्ध है। आरोप ये लग रहे हैं कि जुलाई में निजी संस्थान के नाम से लीज डीड करवाना तो बडे हाथियों को संतुष्ट करने का हिस्सा भर था। लेकिन, संस्थान का संगठन जिसे खुरचन मान चुका था, रामझरोखा मंदिर की वो मलाई तो अभी बंटनी बाकी थी। वो मलाई नगर पालिका ने बांटी 1 अगस्त 2025 को।
पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता कार्यालय से सटी हुई एक बेशकीमती जमीन पर आठ आवासीय पट्टे जारी कर दिए गए। इस जमीन पर तिब्बती बाजार लगता था। ये पट्टे नगर परिषद के अधिकारियों ने जारी किए। सिरोही शहर में रामझरोखा की भूमियों का स्टेटस क्या है। ये किसी से छिपा नहीं है। नियंत्रण एवं सलाहकार समिति के द्वारा निकलवाए गए इस पूरे मामले के दस्तावेज ही बता रहे हैं कि नगर परिषद सिरोही के अधिकारियों ने एक शपथ पत्र के आधार पर बिना पूर्ण दस्तावेजों की छानबीन के पट्टा संख्या 43 से लेकर 50 तक के 69-ए के आठ पट्टे जारी किए।
-विक्रय इकरारनामा और पट्टे से हुआ रजिस्ट्रेशन
दरअसल, ये आठ आवासीय पट्टे रामझरोखा की 18 हजार 614 वर्गफीट जमीन का हिस्सा है। रामझरोखा, श्रीराम लक्ष्मण मंदिर और राजगुरुद्वारा नियंत्रण और सलाहकार समिति ने रजिस्ट्रार कार्यालय और नगर परिषद सिरोही से इन आठ पट्टों के दस्तावेज निकाले। इन दस्तावेजों के अनुसार सबसे पहले 28 जुलाई 2025 को इन आठ भूखण्डों को लेने वाले लोगों व ट्रस्ट के महंत के बीच विक्रय इकरारनामा हुआ। इस इकरारनामें में लिखा है कि ये आठ आवासीय पट्टे उस मूल पट्टे का हिस्सा हैं जो नगर पालिका सिरोही ने 2001-2002 में जारी किया था। इसका पंजीयन 2 मार्च 2002 को सिरोही उप पंजीयन कार्यालय में हुआ था।
इस विक्रय विलेख में ही लिखा है कि बाद में इस भूमि की वसीयत पूर्व महंत जयरामदास ने 8 मार्च 2002 को अपने शिष्य के नाम कर दी थी। वही इसके वर्तमान महंत हैं और वसीयत के अनुसार आधिकारिक वारिस भी हैं। इस पूरी जमीन को टुकडों में बेचने के लिए इसका विभाजन करवाना आवश्यक था। इसके लिए नगर परिषद 69-अ का पट्टा जारी करती है।
इस पट्टे का आवेदन मंदिर के महंत ने किया था। पट्टे में नगर परिषद के तत्कालीन आयुक्त ने लिखा है कि उन्होंने दस्तावेजों को पूरी तरह से पढकर और जांच कर ये जारी किए हैं। इस पट्टे को जारी करने से पूर्व नगर परिषद ने मंदिर के महंत से एक शपथ पत्र भी जमा करवाया था। इस शपथ पत्र में महंत ने लिखा है कि ये खसरा संख्या 2094 की एक बीघा 18 बिस्वा अर्थात 18 हजार 614 वर्गफीट जमीन उनकी मिल्कीयत है। ये जमीन उन्हें उनके गुरु जयरामदास ने 20 मार्च 2001 की वसीयत में उनका उत्तराधिकारी मानते हुए सौंपी गई थी। इस शपथ पत्र की घोषणा को अंतिम मानते हुए नगर परिषद ने इस भूमि के टुकडे करते हुए महंत के नाम से पट्टा जारी कर दिया। इस 28 जुलाई के विक्रय इकरारनामे और 1 अगस्त को जारी 69 ए के पट्टे के आधार पर 7 अगस्त को इन आठ भूखण्डों का पंजीयन सिरोही उप पंजीयन कार्यालय में हो गया।
-करीब साढे आठ सौ रुपये की दर से सौदा
विक्रय इकरारनामा में जो बेचान राशि दिखाई गई है उसके अनुसार इस जमीन का सौदा करीब साढे आठ सौ रुपये वर्गफीट से हुआ है। इस हिसाब से इसकी कुल कीमत करीब डेढ करोड आई होगी। यूं एग्रीमेंट में दरों को डीएलसी तक सीमित कर रखा जाता है जिससे रजिस्ट्री करवाने में ज्यादा स्टाम्प ड्यूटी नहीं आए। जबकि जिस इलाके में ये जमीन है वहां इसकी बाजार दर पांच हजार रुपये स्क्वायर फीट से तो कम किसी सूरत में नहीं है। यानि 18 हजार 614 वर्गफीट के करीब करीब नौ करोड 30 लाख के आसपास। लेकिन, राम नाम की लूट लगी थी जो लूट सकते थे लूट गए।


