अतीक अहमद बना साबरमती जेल का कैदी नंबर 17052

प्रयागराज। माफिया से राजनेता बना अतीक अहमद के लिए साबरमती जेल के अंदर का माहौल अब पहले जैसा नहीं रहेगा। अब उसकी पहचान कैदी नंबर 17052 से होगी।

चार दशकों के लंबे अपराधिक इतिहास में लगातार विचाराधीन बंदी कहला रहा पांच बार का विधायक और एक बार का सांसद अतीक अहमद जब साबरमती जेल से प्रयागराज में मंगलवार को उमेश पाल अपहरण मामले के फैसले की तारीख पर लाया गया था, तब तक वह एक मुलजिम था लेकिन लौटते समय उसके ऊपर मुजरिम का टैग लग गया। साबरमती जेल में उसकी पहचान कैदी नंबर डी/17052 से की जाएगी। उसे अब वह सब कुछ करना होगा जिसकी उसने कभी कल्पना नहीं की होगी।

एमपी/एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश दिनेश चन्द्र शुक्ल ने मंगलवार को अतीक, दिनेश पासी और सौलत हनीफ को बहुजन समाज पार्टी विधायक राजूपाल की हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल के 25 जनवरी 2005 अपहरण के मामले में दोषी करार देते हुए आजीवन सश्रम कारावास की सजा सुनाई। सश्रम कारावास की सजा पाए कैदियों को सजा काटने के दौरान काम भी करना पडेगा।

साबरमती सेन्ट्रल जेल के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जेल में विचाराधीन और सजायाफ्ता कैदियों के लिए मानदंड बिल्कुल अलग होता है। अतीक को अब सजायाफ्ता कैदियों के साथ रखा जाएगा। अब वह अपने कपड़े नहीं पहन सकेगा। उसे सजायाफ्ता कैदियों की तरह जेल के ही कपड़े पहनने होंगे। उसे ड्रेस कोड का पालन करना होगा।

उन्होंने बताया कि जेल मैनुअल के अनुसार कैदियों के काम करने को तीन कटेगरी में बांटा गया है। नंबर एक स्किल्ड, अनस्किल्ड और सेमीस्किल्ड हैं। इसी के अनुसार उन्हें पारिश्रमिक दिया जाता है। कैदियों के पारिश्रमिक को बैंक व्यवस्था है। वे अपने कमाए पैसों को घर भी भेज सकते हैं या उसका खुद उपयोग कर सकते है।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (नैनी जेल) शशीकांत सिंह ने मुलजिम और मुजरिम की भिन्नता बताते हुए कहा कि जबतक उसपर आरोप होता है वह मुलजिम या आरोपी कहलाता है लेकिन अपराध सिद्ध होने के बाद वह मुजरिम कहलाता है।

गौरतलब है कि जरायम की दुनिया में हनक रखने वाले 100 से अधिक दर्ज मामलों में अतीक अहमद को बीते 42 वर्षों में पहली बार उमेश पाल अपहरण काण्ड मामले में सजा सुनाई गई। इससे पहले किसी ने उसके खिलाफ मुंह खोलने की जरूरत नहीं की। जिसने भी मुंह खोला उसी के फोटो पर हार चढ़ा देखने को मिला। उमेश पाल ने अपने अपहरण मामले में अतीक का डटकर सामना किया जिससे उसे आजीवन कारावास और एक लाख का जुर्माना मिला।

उमेश ने भले ही उसका बिना डरे डटकर मुकाबला किया लेकिन 17 साल बाद आए अपने फैसले को सुनने से पहले ही पिछले महीने 25 फरवरी 2023 को उनकी गोली और बम मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में अतीक अहमद, भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, बेटा असद समेत कई लोगों को आरोपी बनाया गया है। अपने रसूख के बल पर उगाही से धन कमाने वाले और एशो-आराम की जिंदगी जीने वाले अतीक को अब मेहनत करके खाना होगा और पैसा कमाना होगा।