भाजपा छोड़ तृणमूल में शामिल हुए मुकुल राय की विधानसभा सदस्यता रद्द

कोलकाता। कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस नेता मुकुल रॉय को दलबदल विरोधी कानून का उल्लंघन करने के आरोप में पश्चिम बंगाल विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया। यह देश में ऐतिहासिक पहला मामला है जब किसी विधायक को दलबदल के आधार पर अदालत की ओर से हटाया गया है।

इस फैसले ने विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी के पिछले फैसले को पलट दिया, जिन्होंने विपक्ष द्वारा दायर याचिकाओं पर कार्रवाई करने से इनकार कर दिया था। न्यायमूर्ति देबांगसु बसाक की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी और भारतीय जनता पार्टी विधायक अंबिका रॉय की ओर से दायर याचिकाओं पर कार्रवाई करते हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा से रॉय की सदस्यता रद्द कर दी।

इस फैसले ने बंगाल विधानसभा अध्यक्ष बनर्जी के रॉय के खिलाफ अयोग्यता याचिका खारिज करने के पिछले फैसले को भी रद्द कर दिया। यह फैसला एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। देश के इतिहास में पहली बार किसी विधायक का पद दलबदल के आधार पर अदालत ने समाप्त किया है। अदालत ने लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष पद पर उनकी नियुक्ति भी रद्द कर दी।

अदालत ने पाया कि मई 2021 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के टिकट पर निर्वाचित होने के बाद राय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल होकर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे थे। वर्ष 2021 के विधानसभा चुनावों में नदिया जिले के कृष्णानगर उत्तर से भाजपा के टिकट पर निर्वाचित रॉय तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पूर्व विश्वासपात्र थे।

बनर्जी के पूर्व विश्वासपात्र रॉय फिर से तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए जिसके बाद विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने विधानसभा अध्यक्ष से रॉय को निष्कासित करने की मांग की थी। अध्यक्ष द्वारा याचिका खारिज किए जाने के बाद अधिकारी ने कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया जिसने अंततः दलबदल के आधार पर रॉय को अयोग्य घोषित कर दिया।

मुकुल रॉय को विधानसभा सदस्यता से अयोग्य ठहराया जाना ऐतिहासिक

दलबदल के कारण तृणमूल कांग्रेस के विधायक मुकुल रॉय को कोलकाता उच्च न्यायालय द्वारा अयोग्य ठहराए जाने के फैसले को विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने ऐतिहासिक बताया है। अधिकारी ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि न्यायमूर्ति देबांगसु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बर रशीदी की खंडपीठ द्वारा मुकुल रॉय को दलबदल के कारण विधायक के रूप में अयोग्य ठहराए जाने का फैसला ऐतिहासिक है। उल्लेखनीय है कि अधिकारी ने ही इस मामले में उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।

अदालत के इस फैसले ने विधानसभा अध्यक्ष द्वारा पारित उस आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें रॉय को विधान सभा सदस्य के रूप में अयोग्य ठहराने से इनकार किया गया था। अधिकारी ने कहा कि अंततः सत्य की जीत होती है, भले ही इसमें थोड़ी देरी हो। न्यायालय ने संविधान, विशेषकर दसवीं अनुसूची की पवित्रता को बनाए रखते हुए दलबदल के मामलों में अध्यक्ष के पक्षपातपूर्ण रवैये पर भी कोई संदेह नहीं छोड़ा है। मैं इस ऐतिहासिक फैसले का तहे दिल से स्वागत करता हूं।