डिप्टी सीएम दियाकुमारी के पावरफुल PA का ठसका, जर्जर क्वार्टर में फूंकवा दी जान

सन्तोष खाचरियावास
जयपुर। चाल, चरित्र और चेहरा का नारा देने वाली सत्ताधारी पार्टी के दो को उसकी ही सरकार का एक कारिंदा ढकोसला साबित कर रहा है। इसकी बानगी राजधानी जयपुर में चर्चा का विषय बनी हुई है।

प्रदेश की राजधानी जयपुर में एक पावरफुल पीए ने पहले तो जर्जर सरकारी क्वार्टर आउट ऑफ टर्न आवंटित कराया और अब पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों की देखरेख में इस क्वार्टर में विगत तीन महीनों से बड़े जोर-शोर से निर्माण कार्य चलाया जा रहा है। लेकिन यह कार्य किसके आदेश से हो रहा है? यह अभी तक सस्पेंस बना हुआ है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा का मुद्दा भी बनने लगा है।

मामला गांधीनगर जयपुर में स्थित राजकीय आवास सं G- 805 का है और पावरफुल पीए का नाम है जयसिंह यादव, जो उप मुख्यमंत्री दियाकुमारी के पीए हैं। गांधीनगर जयपुर के मध्य स्थित पॉश इलाका है, जहां हाईकोर्ट के जजों से लेकर कई बड़े अफसरों के बंगले हैं। साथ ही कई सरकारी क्वार्टर भी हैं, जिनमें से कुछ बहुत ही दयनीय हालात में पहुंच चुके हैं। इन क्वार्टरों का रखरखाव करने वाले सार्वजनिक निर्माण विभाग का ठिकाना भी यहीं है। इसके बावजूद इन क्वार्टरों पर पीडब्ल्यूडी की निगाहें करम नहीं हो रहीं, सिवाय एक क्वार्टर के, जिस पर ठेकेदार भी आऊट ऑफ टर्न जाकर काम करने को बेताब है।

नियमों-कायदों की उड़ रही धज्जियां

गांधीनगर के कई क्वार्टर पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं। कई क्वार्टरों में छत की पट्टियां गल चुकी हैं। इन्हें गिराकर ही नया निर्माण होना है। चूंकि मरम्मत के दौरान पट्टियां बदली नहीं जा सकतीं, इसलिए लोहे के गर्डर लगाकर जर्जर पट्टियों को गिरने से रोका जा रहा है। आसपास के क्वार्टर संख्या 803, 806 आदि में यही हाल है।

कई क्वार्टरों में नल टूटे हैं, बिजली के तार अव्यवस्थित हैं। ये आवास सुरक्षित नही होने से इनमें रहने वाले सरकारी कार्मिक आवास खाली कर रहे हैं। इस सबके बावजूद गांधीनगर में ही स्थित पीडब्ल्यूडी चौकी के इंजीनियर इन क्वार्टरों की सुध नहीं ले रहे। दूसरी तरफ G- 805 में नया निर्माण करने में पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर सरकारी खजाने से लाखों रुपए खर्च कर रहे हैं।

सूत्र बताते हैं कि ये जर्जर आवास नए अलॉटमेंट योग्य नहीं हैं। जहां एक रुपया भी खर्च करना जाया हो, वहां लाखों रुपए पानी की तरह बहा दिए। इतना ही नहीं, अधिकारियों ने बिना नक्शा स्वीकृति सेटबैक पर नियम विरुद्ध निर्माण भी करा दिया है। दूसरी तरफ अन्य कर्मचारियों के जर्जर क्वार्टर अपनी किस्मत बदलने का इंतजार ही कर रहे हैं।