बेंगलूरु। कर्नाटक की राजनीति में रविवार को उस समय एक बार फिर हलचल मच गई जब उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि राज्य को आने वाले दिनों में होने वाले परिवर्तन के लिए तैयार रहना चाहिए।
शिवकुमार के इस बयान को कर्नाटक कांग्रेस में पनप रही असंतोष की भावना और संभावित नेतृत्व बदलाव की ओर इशारा करने वाला अब तक का सबसे स्पष्ट संकेत माना जा रहा है। शिवकुमार ने यहां लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें राज्य में आने वाले दिनों में होने वाले बदलाव के लिए तैयार रहना चाहिए ताकि उसे नई ताकत और नई दिशा मिल सके। जीवन स्थायी नहीं होता, लेकिन हम जो पीछे छोड़ते हैं, वह स्थायी होता है। हमारे शब्द नपे-तुले होने चाहिये, काम बोलना चाहिये। ईश्वर न तो श्राप देता है न वरदान। वह केवल अवसर देता है, और हम उन अवसरों का क्या करते हैं, वही अहम है।
राजनीति के जानकारों का कहना है कि कर्नाटक की मौजूदा परिस्थितियों में कोई वरिष्ठ नेता ‘परिवर्तन’ शब्द का इस्तेमाल यूं ही नहीं करता। इस बयान ने एक बार फिर उस संभावित ‘रोटेशनल मुख्यमंत्री’ फार्मूले पर चर्चा तेज कर दी है, जिसके बारे में लंबे समय से कयास लगाए जाते रहे हैं। कांग्रेस हाईकमान ने हालांकि कभी इसकी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि शिवकुमार की टिप्पणी को दिल्ली में भी गंभीरता से परखा जा रहा है। कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं का मानना है कि समर्थकों और हाईकमान दोनों को यह संदेश देने की कोशिश है कि अब शिवकुमार अपनी ‘बारी’ की अपेक्षा कर रहे हैं।
इस बीच दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा की ओर से शिवकुमार को भेजे गए समन ने राजनीतिक तापमान और बढ़ा दिया है। माना जा रहा है कि एजेंसी के पास नेशनल हेराल्ड मामले से जुड़े कुछ अहम दस्तावेज़ हो सकते हैं, जिसमें पहले सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नाम भी सामने आए थे।
विश्लेषकों के अनुसार यह समन शिवकुमार को अनायास ही एक प्रकार की राजनीतिक बढ़त दे सकता है, जिससे वह पार्टी नेतृत्व पर दबाव बढ़ा सकें।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि हाल के दिनों में शिवकुमार का तेवर और आक्रामक हुआ है, जिससे यह अटकलें भी तेज़ हैं कि वह संगठन में अपनी पकड़ मजबूत करने और पार्टी संरचना में अपना कद बढ़ाने की दिशा में सक्रिय हैं।
एक ओर जहां सिद्दारमैया जनता में लोकप्रिय और अनुभवी प्रशासक माने जाते हैं, वहीं शिवकुमार पार्टी संगठन पर मजबूत पकड़ रखते हैं। ऐसे में कांग्रेस दोनों शक्तिशाली ध्रुवों के बीच संतुलन साधने की कोशिश में जुटी है।



