नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय ने शनिवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए गुरुग्राम और दिल्ली में सात ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। ईडी ने अवैध कॉल सेंटर घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग जांच के संबंध में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के प्रावधानों के तहत सात ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया। जिसमें मुख्य रूप से अमरीकी नागरिक शामिल थे।
ईडी ने केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज की गई एक प्राथमिकी (एफआईआर) के आधार पर अपनी जांच शुरू की। एफआईआर में लिखा था कि अज्ञात आरोपियों ने नवंबर 2022 और अप्रैल 2024 के बीच दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र से अवैध कॉल सेंटर संचालित किए। इन कॉल सेंटर से तकनीक मदद के नाम से धोखाधड़ी को अंजाम दिया। जिससे विभिन्न पीड़ितों से लगभग 1.50 करोड अमरीकी डॉलर (120 करोड़ रुपए से अधिक) की ठगी की गई थी।
ईडी की जांच में सामने आया कि आरोपियों अर्जुन गुलाटी, दिव्यांश गोयल और अभिनव कालरा ने गुरुग्राम और नोएडा से कॉल सेंटर चलाकर अमरीकी नागरिकों को तकनीकी मदद के नाम पर धोखाधड़ी की थी। उन्होंने पीड़ितों के बैंक अकाउंट्स में अनधिकृत पहुंच बनाई और करोड़ों की रकम विदेश खातों में भेज दी। फिर जटिल बैंकिंग नेटवर्क के जरिए ये पैसा वापस इंडिया लाकर अपनी ऐशो आराम की जिंदगी पर खर्च किया।
गत 20 अगस्त को हुई तलाशी में कई आपत्तिजनक दस्तावेज़ और डिजिटल रिकॉर्ड ज़ब्त किए गए। घोटाले में शामिल प्रमुख लोगों के बयान दर्ज किए गए। जिससे धोखाधड़ी की पूरी प्रक्रिया का पता लगाने में मदद मिली।
ईडी ने आरोपियों से जुड़े 30 बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है। इसके अलावा अधिकारियों ने आठ लग्ज़री कारें, महंगी लग्ज़री घड़ियां और कई कीमती संपत्तियों की पहचान की है, जिनमें कथित तौर पर अपराध की कमाई से खरीदे गए आलीशान घर भी शामिल हैं। जिनकी कुल कीमत 100 करोड़ रुपए से ज़्यादा है।