आखिर आबूरोड कांग्रेस को याद आया जनहित

आबूरोड में जनसमस्याओं को लेकर निकाली गई कांग्रेस की रैली।

सबगुरु न्यूज- आबूरोड। आखिर आबूरोड के लोगों के दिन फिरे। कांग्रेस को याद आया कि आबूरोड के लोग तकलीफ हैं। उन्हें शहर में व्याप्त गंदगी को लेकर समस्या है। तो कल हाथ तख्तियां की और निकल पड़े आबूरोड के लोगों को न्याय दिलवाने। ऐसा नहीं है कि ये तकलीफ आबूरोड में आज से हैं। लेकिन, बुधवार से पहले आबूरोड कांग्रेस के नेताओं को एकाएक बोधिसत्व मिला और वो निकल पड़े आबूरोड को न्याय दिलवाने को। बुद्ध को तपस्या से, छात्रों को शिक्षा से, चिंतकों को मनन से बोधिसत्व मिलता है लेकिन, नेताओं को ये बोधिसत्व दो ही स्थिति में मिलता है। एक जब उनके व्यक्तिगत हित नहीं सधते दूसरा जब चुनाव सिर पर हों।

– ये तो बनता था

आबूरोड में बुधवार कांग्रेस के पार्षद निखिल जोशी और सुमित जोशी के नेतृत्व में रैली निकाली गई। शहर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अमित जोशी भी इसमें नजर आए। मुद्दा था आबूरोड में चरमराई सफाई व्यवस्था। रैली में जो प्ले की नजर आ रहे हैं ये रूडीप और एलएंडटी के भ्रष्टाचार की जांच करवाने की मांग नजर आ रही थी। मतलब ये कि शहर में गंदगी की असली वजह कहीं ना कहीं शहर में बेतरतीब तरीके से खोदी जा रही सिवरेज लाइन हैं। यूं, बदहाली की वजह सफाई की ठेका व्यवस्था भी है। जो प्ले कार्ड नजर आ रहे थे उसमें अशोक गहलोत और नीरज डांगी के कट आउट नजर आ रहे थे। यानि कि ये आबूरोड कांग्रेस के नीरज डांगी गुट से संबंधित कांग्रेस की रैली थी। नेतृत्व कर्ता निखिल जोशी और सुमित जोशी कांग्रेस के पार्षद है। नवंबर में आबूरोड नगर पालिका का कार्यकाल पूर्ण हो जाएगा। इसके बाद चुनाव होने हैं। तो रैली सफाई के लिए जनता की याद आना तो बनता है।

-लोढ़ा गुट तो ज्ञापन के आगे नहीं बढ़ा

रैली में दिख रहे प्ले कार्ड पर नगर कांग्रेस कमेटी आबूरोड लिखा हुआ था। यानि कि ये रैली उसके नेतृत्व में निकाली जा रही थी।लेकिन, नगर मंडल कांग्रेस में संयम लोढ़ा गुट का नेतृत्व है। यूं संयम लोढ़ा ने आबूरोड में शहर नगर मंडल की कार्यकारिणी के स्वागत और अभिनंदन समारोह के दौरान जनता की समस्याओं के लिए सड़कों पर उतरने का आह्वान किया था। उनकी बात की दोहराते हुए नव नियुक्त मंडल अध्यक्ष ने भी यही दावा किया था। लेकिन, लोढ़ा गुट की कांग्रेस का जनता के मुद्दों के लिए संघर्ष ज्ञापन तक ही सिमट कर रह गया। उन्होंने जनता की समस्या को कागज पर उतारकर प्रशासन के इनवर्ड रजिस्टर में तो उतरवाया, लेकिन स्वागत समारोह में किए दावे के अनुसार खुद सड़क पर नहीं उतरे। आबूरोड ने सड़क पर कांग्रेस का संघर्ष देखा है और जबरदस्त संघर्ष देखा है। लेकिन वो संघर्ष जनता के लिए नहीं बल्कि खुदके लिए था, जब करीब छह साल पहले सितम्बर 2019 में संयम लोढ़ा द्वारा आबूरोड में जनसुनवाई शिविर लगाया गया था तो कांग्रेस के दोनों गुटों ने सड़कों संघर्ष किया था। एक दूसरे के खिलाफ।

– ये समस्याएं रखी

प्रदर्शनकारियों ने शहर की कई समस्याओं को उठाया, इसके लिए उपखंड अधिकारी को ज्ञापन दिया। इनमें पानी की आपूर्ति, टूटी सड़कें, सब्जी मंडी की स्थिति और खराब सफाई व्यवस्था शामिल थी। उन्होंने सांतपुर, मावल सियावा और डेरी क्षेत्रों में अवैध खनन की जांच की मांग की। जल जीवन मिशन में कथित घोटाले की जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी के गठन की मांग की गई। साथ ही, नागरिकों के चबूतरों और आंगन में ब्लॉक टाइल्स लगाने में हुए राजस्व नुकसान की भी जांच मांगी गई। नालों पर घटिया फेरो कवर लगाने से हुए करोड़ों के नुकसान की भी जांच की मांग की गई। गांधीनगर के शिवाजी कॉलोनी में पानी की समस्या एवं नाली की रोजाना साफ-सफाई और गेस एजेंसी रोड़ पर गड़े, रिटेल सब्जी मंडी में रोड निर्माण पीपलेश्वर महादेव के सामने रोड निर्माण, मेघवाल वास ओर भील वास में सीवरेज व रोड निर्माण घोषी मोहल्ले में पानी समस्या को लेकर भी अवगता करवाया।