अजमेर। हरिभाऊ उपाध्याय नगर विस्तार पुष्कर रोड स्थित महाराजा दाहरसेन स्मारक पर आयोजित सात दिवसीय कार्यक्रमों के अन्तर्गत रूपलो कोल्ही के बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया गया।
इस मौके पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए दक्षिण विधायक अनिता भदेल ने कहा कि देश का प्रत्येक नागरिक राष्ट्रभक्त बने। राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ स्वच्छता अभियान, यातायात नियमों का पालन तथा संविधान के अन्तर्गत बनाए गए कानूनों का पालन करने से ही देश नई दिशा एवं गति प्राप्त होगी। आने वाली पीढ़ियों तक देश के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले वीर सैनानी तानाजी, झलकारी बाई एवं रूपलो कोल्ही जैसे अनेक योद्धाओं की वीर गाथाएं पहुंचानी होगी।
नगर निगम में प्रतिपक्ष नेता द्रोपदी कोल्ही ने कहा कि देश की आजादी में कोल्ही समाज के वीर पुरुषो का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। शहीदों का जीवन आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्त्रोत है। उन्होंने सभी से देश की विकास यात्रा में सहयोग करने की अपील की।
कोली समाज के अध्यक्ष विक्रम सिंह ने रूपला कोल्ही के जुड़ी जानकारियां सभी को साझा की। कौस्तुभ सिंह भाटी ने कहा कि युवा पीढ़ी को इसकी जानकारी पहुंचे उसके लिए आवश्यक है कि इस बारे में पाठ्यक्रमों में पढ़ाया जाए साथ ही लेखों व सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों जागृत करना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन कंवल प्रकाश किशनानी ने किया व धन्यवाद महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने दिया।
इस अवसर पर विनीत लोहिया, डॉ. हिमनन्दिनी चौहान, एमएस गडोरिया, कुलदीप सिंह सोलंकी, सिद्धार्थ भाटी, सी भाटी, रामस्वरूप कुडी, दुर्गा प्रसाद शर्मा, मुकेश, कालाराम माथुर, संतोष, प्रेम सिंह तंवर, शिव प्रसाद गौतम, मुकेश कुमार खींची, लेखराज राजोरिया, सुरेश खीरवाल, रविकांत परिहार, अशोक बंुदेल, डिम्पल कालोत, हीरा सिंह गहरवार, उमराव सिंह, सोहन लाल, बाबूलाल, कविता, वंदना खोरवाल, विनोद वागोरिया, रोहित मकवाना, सतीशचन्द्र जनूठिया उपस्थित थे।
कौन थे रूपलो कोल्ही
स्वतंत्रता संग्राम में शहीद रूपलो कोल्ही का जन्म सिन्ध की महान धरती पर 19वीं सदीं की दूसरी दहाई में धरपारकर जिले के नगरपारकर कोल्ही कबीले में हुआ। बाल्याव्यवस्था से ही शूरवीरता और मातृभूमि के प्रेम की भावना उनमें अर्न्तनिहित थी, उनका पालन पोषण कारूंझर पहाड़ों के कतारों के कबीले की रस्मो के मुताबिक खानदानी हथियारों तीर कमानो, भालो और घातक हथियारों को चलाने की महारत हासिल थी। जवानी में पहाड़ों और भट्टो में कई दरिंदों को मार गिराया वह बहादुर फुर्तीले और सुंदर जवान थे वे अपनी दिलेरी जवागर्दी के कारण अपने कबीले में और दूसरे कबीले में बड़े आदर की नजर सेदेखे जाते थे।
15 अप्रैल 1859 को रूपलो और उनके साथियों ने अंग्रेजों के खिलाफ झंडा बुलंद किया। थरपारकर के इन सुरमों ने नगरपारकर के हेड क्वार्टर पर जोरदार हमला किया टेलीग्राफ के तार तोड़े चारों और रास्ते बंद कर दिए सरकारी खजाने को लूटा अंग्रेज रेजीडेंट जान बचाकर भागे।
नगरपारकर के मुख्तियारकार डेयूमल इसकी जानकारी अपने अंग्रेज आकाओं के हैदराबाद में दी। हैदराबाद छावनी के आफिसर कर्नल इयुनिस के प्रतिनिधित्व में थर बलोची में एक विंग नगरपारकर की तरफ रवाना हुई कुछ तोपखाना कराची से रवाना हुआ। उन सभी फौजो की अगवानी कर्नल इयुनिस ने संभाली नगर पारकर हुर्रियत पसंदो को कुचलने के लिए 3 मई 1859 को हमला किया गया।
प्यारे वतन सिंध के सिंधियों के पुराने हथियार अंग्रेजो की बंदूकों के सामने टिक नहीं सके। इसलिए पहाड़ी किले चंदन गढ़ में बंद हो गए। कर्नल इयुनिस ने कुछ गद्दार सरदारों की मदद से चंदन गढ़ किले को तोपों से उड़ा दिया। जहां से कई बहादुर वीरों को गिरफ्तार किया गया और कुछ लोगों ने करूंझर पहाड़ों में जाकर पनाह ली।
रूपलो कोल्ही उसके दौरान अपने साथियों को रोटी और खाने के सामान पहुंचाने लगा पर किसी गद्दार ने यह जानकारी अंग्रेजों को दी और अंग्रेजों ने रुपलो कोल्ही व अन्य साथियों को घेरकर गिरफ्तार कर लिया। उनके गिरफ्तारी के बाद उनके हाथों पर तेल डाल कर दिए जलाए गए। प्रताड़ना दी गई पर वफादार कोल्ही ने फिर भी फिरंगीयों को अपने दूसरे साथियों के बारे में कुछ नहीं बताया।
रुपलो को जागीर को प्रलोभन दिए गए पर फिर भी उसने अपने साथियों का पता ठिकाना नहीं बताया। बाद में रूपलो कोल्ही और उनके साथियों पर बगावत का मुकदमा चलाया गया। वीर देश भक्त को मौत की सजा सुनाई गई। अंग्रेजों का साथ देने वालों को इनाम में जागीरें दी गई। धरती माता के इस सपूत रुपलो कोल्ही को 22 अगस्त 1859 को फांसी दी गई। उनके किए गए किरदार ने उनको हमेशा के लिए अमर कर दिया। ऐसे थे हमारे महान योद्धा, वीर, देशभक्त अंग्रेजो का डटकर मुकाबला किया व अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया।