जैसलमेर। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना भविष्य के युद्ध की तैयारी में जुट गई है, इसी क्रम में सेना अपनी मारक क्षमता को और मजबूत करने एवं भविष्य की चुनौतियों के मद्देनजर छोटे-छोटे महत्वपूर्ण सैन्य अभ्यास कर रही है।
सैन्य सूत्रों ने शनिवार को बताया कि भारतीय सेना के बेटल एक्स डिवीजन ने राजस्थान के तपते रेगिस्तान में फ्यूचर रेडी विषय पर आधारित एक बेहद अहम सैन्य अभ्यास किया। इसमें अभियानोन्मुखी प्रशिक्षण, अत्याधुनिक हथियारों और तकनीकी प्रणालियों का समावेश करके रेगिस्तानी युद्ध की संभावनाओं पर गंभीरता से काम किया गया।
सू्त्रों ने बताया कि इस सैन्याभ्यास में ड्रोन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) प्रणाली और आधुनिक हथियारों की बड़ी तैनाती के साथ दिन-रात युद्ध रणनीति का अभ्यास किया गया। साथ ही मानव रहित थल वाहन और इलेक्ट्रोनिक प्रणाली का इस्तेमाल, रेगिस्तानी क्षेत्रों में रीयल टाइम ऑपरेशन की तैयारी, टैंक, इन्फैंट्री और आर्टिलरी इकाईयों के संयुक्त अभ्यास को अमलीजामा पहनाया गया।
सू्त्रों ने बताया कि यह युद्धाभ्यास भारतीय सेना के कोनार्क कोर द्वारा किया जा रहा है, जिसे दक्षिणी पश्चिमी कमान का सबसे सक्रिय और रणनीतिक संगठन माना जाता है। इस अभ्यास में न केवल रेगिस्तानी इलाके में युद्ध संचालन की तकनीकों को दुहराया गया, बल्कि हाल ही में सेना में शामिल किए गए युद्ध क्षमता को कई गुना बढ़ाने वाले आधुनिक हथियारों और उपकरणों का भी प्रभावशाली प्रदर्शन किया गया।
भारतीय सेना की कोणार्क कोर ने बताया कि भारतीय सेना अब भविष्य के संभावित युद्धों को ध्यान में रखकर अपनी रणनीति और प्रशिक्षण में व्यापक बदलाव कर रही है। इक्कीसवीं सदी के युद्ध केवल टैंक और राइफल तक सीमित नहीं रह गए हैं, बल्कि अब ये युद्ध कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ड्रोन, साइबर युद्ध, रियल टाइम डेटा और अत्याधुनिक निगरानी उपकरणों पर आधारित हो गए हैं।
इसी कड़ी में रेगिस्तानी इलाकों में सेना के बैटल एक्स डिवीजन द्वारा किए गए सैन्य अभ्यास का आयोजन किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य रेगिस्तानी इलाकों में संचालन तैयारी को परखने के साथ नव समाहित उपकरणों और गतिमान तोपखाने का व्यवहारिक उपयोग करना था, साथ ही दिन और रात के समय में युद्ध रणनीति का परीक्षण भी करना है।