झुंझुनूं। राजस्थान में झुंझुनूं जिले में कुछ दिनों पहले 25 कुत्तों को गोली मारने के आरोप में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का शनिवार को जमानत पर रिहा होने पर ग्रामीणों ने भव्य स्वागत किया और जश्न मनाते हुए उसे पूरे गांव में जुलूस के रूप में घुमाया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कुत्तों की हत्या करने वाले श्योचंद बावरिया शनिवार को जमानत पर रिहा होकर गांव पहुंचा तो ग्रामीणों ने डीजे बजाया और माला पहना कर उसका स्वागत किया। बाद में उसे पिकअप में बिठाकर पूरे गांव में जुलूस निकाला। इस दौरान ग्रामीणों ने बस स्टैंड से गुजर रही बस को रुकवाया और उसमें बैठे यात्रियों को लड्डू बांटे।
झुंझुनूं जिले के कुमावास गांव में दो अगस्त को श्योचंद बावरिया (50) ने 25 कुत्तों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। श्योचंद ने ढूंढ़-ढूंढ़ कर कुत्तों को गोली मारी थी। इसके बाद गांव में जगह-जगह खून से लथपथ 25 कुत्तों के शव मिले थे। चार अगस्त को इस घटना का वीडियो सामने आया था। इसके बाद गांव की पूर्व सरपंच सरोज झांझड़िया ने पुलिस अधीक्षक से इसकी शिकायत की थी।
पुलिस ने 18 अगस्त को श्योचंद को गिरफ्तार कर लिया। 22 अगस्त को श्योचंद को जमानत मिली तो उसने थाने के बाहर निकलते हुए वीडियो बनाया। इसके बाद जैसे ही गांव पहुंचा तो वहां उसका जोरदार स्वागत हुआ।
श्योचंद के स्वागत का वीडियो सामने आने के बाद पशु प्रेमियों ने कड़ी प्रतिक्रिया की। लोगों ने इसे अपराध का महिमामंडन बताया। झुंझुनूं और आसपास के क्षेत्रों में काम कर रहे पशु प्रेमी संगठनों ने भी इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि सरकार जहां पशु संरक्षण पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, वहीं ग्रामीणों का यह रवैया बेहद निंदनीय है।
पशु क्रूरता अधिनियम 1960 और आईपीसी की धारा 429 के तहत जानवरों की हत्या करना गंभीर अपराध है, जिसमें सजा और जुर्माने का प्रावधान है। बावजूद इसके आरोपी को सम्मानित करना कानून और न्याय दोनों का मजाक है।
घटना को लेकर कुमावास गांव में दो पक्षों के बयान सामने आए हैं। ग्रामीणों के अनुसार कुत्ते उनकी बकरियों और मवेशियों पर हमला कर रहे थे और बुजुर्गों एवं बच्चों को निशाना बना रहे थे। ऐसे में गुस्साए श्योचंद ने कुत्तों को मार डाला। वहीं दूसरे पक्ष की पूर्व सरपंच सरोज ने आरोप लगाया कि यह दावे झूठे हैं और कुत्तों ने न तो किसी को नुकसान पहुंचाया था और न ही किसी की बकरियों को मारा था। उन्होंने आरोप लगाया कि श्योचंद और उसके साथी बकरियां मरने का झूठा बहाना बनाकर मुआवजे की मांग कर रहे हैं।