सबगुरु न्यूज-सिरोही। राजस्थान सरकार ने शहरी क्षेत्रों में चलो शहर अभियान शुरू किया है। इसमें प्रशासन शहरों के संग अभियान की तरह नगर निकायों से जुडे कामों को किया जा सकेगा। इसमें सरकार के द्वारा राहत भी दी गई है। लेकिन, सवाल अब भी ये है कि क्या इस तरह के कैम्पों में नगर निकायों के द्वारा किए गए अवैधानिक कामों के निरस्तीकरण का काम हो सकेगा।
इसी तरह की अर्जी पर अर्जी सिरोही की रितिका काॅलोनी के वासी लगा रहे हैं। उनके यहां की फेसिलिटी की जमीन का पट्टा भी नगर पालिका ने बना दिया हैं। पट्टे के आधर पर इस जमीन को बेच दिया गया है। जिसे जमीन बेची है उसने अब इस फेसिलिटी की जमीन की बाडबंदी कर दी है। उसमें काॅलोनीवासियों को ही नहीं घुसने दे रहा हैं। एक साल से इसे लेकर रितिका काॅलोनी के लोग जिला कलेक्टर से लेकर डीएलबी तक पत्राचार कर चुके हैं। लेकिन, जनहित की अनदेखी के हालात ये हैं कि अब तक इस पर कार्रवाई नहीं हुई।
– 2015 में बनाया था पट्टा
सिरोही में पुरानी रेबारी वास स्कूल के पास ही रितिका काॅलोनी है। दस्तावेजों के अनुसार सिरोही द्वितीय के खसरा संख्या 2255/3687, 2255/3686, 2251/3680 मे 72 भूखंडो की काॅलोनी पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष सुखदेव आर्य के कार्यकाल में इस काॅलोनी का नक्शा पास हुआ। नवम्बर 2008 में इन खसरों का एलआर एक्ट की धारा 90 बी के तहत नगर पालिका सिरोही को सुपुर्द करके काॅलोनी पास की गई थी।
मूल काॅलोनी के खसरा संख्या 2251/3680 में भूखण्ड संख्या 40 के पास प्रावधान के अनुसार नोहरा और सामाजिक गतिविधि के लिए 2497 वर्गफीट की जमीन छोडी गई थी। काॅलोनी कटने के सात साल बाद 2015 में आए बोर्ड में तत्कालीन सभापति और आयुक्त ने इस फेसिलिटी की जमीन का पट्टा पूरीदेवी नाम की महिला के नाम बना दिया। ये पूरी देवी काॅलोनाइजर नहीं थी।
डीएलबी निदेशक और संयुक्त सचिव को काॅलोनीवासियों और पूरी देवी द्वारा सिरोही के उप पंजीयक को भेजे गए पत्र में बताया गया है कि इस पट्टे के बनने के दौरान ही उसकी पावर आॅफ अटाॅर्नी दिलीपकुमार के द्वारा ले ली गई थी। इसके बाद इसका बेचान अपने नाम करवा दिया गया। जो कि अवैध है।
-मालिकाना हक नगर परिषद का
किसी भी काॅलोनी की फेसिलीटी की जमीन का मालिकाना हक एलआर एक्ट की धारा 90 बी के तहत नगर निकाय का होता है। 2008 के बाद भारत में प्राॅपर्टी मार्केट मे बूम आया तो राजस्थान भी उससे अछूता नहीं रहा है। यहां आवासीय काॅलोनियां बनाने का मार्केट बूम पर था। राज्य में ज्यादा काॅलोनियां कटने लगी, लेकिन सरकार के निकायों के पास इन काॅलोनियों की फेसिलिटी की जमीन के विकास के लिए फंड नहीं था।
ऐसे में सरकार ने एक नया रास्ता निकाला। इन फेसिलिटी की जमीन को काॅलोनीइजर को ही गोद देकर जिस हेतू उसे रिजर्व किया है उसके लिए उसमें काम करवाने का प्रावधान किया गया। लेकिन, काॅलोनाइजर को इसका भू उपयोग परिवर्तन करने या बेचने आदि का अधिकार नहीं था। काॅलोनीवासियों ने अपने पत्र में इसका जिक्र किया हैं।
उनका आरोप है कि इसी नियम को गलत तरीके से व्याख्यायित करके इस भूमि को विकास के लिए काॅलोनाइजर को देने की बजाय इसका पट्टा किसी अन्य महिला के नाम बना दिया गया।
-पंजीकृत बेचान भी हो गया
पूरी देवी से ली गई पावर आॅफ अटाॅर्नी के आधार पर काॅलोनाइजर दिलीप कुमार ने अगस्त 2024 को इसी पट्टे के आधार पर इस भूखण्ड का दो अन्य महिलाओं के नाम पर बेचान कर दिया। इस बेचाननामे के बाद जमीन की तारबंदी की गई तब काॅलोनीवासियों को पता चला कि इसका तो नगर पालिका ने पट्टा बना दिया हैं। इसके बाद जिला कलेक्टर, उप पंजीयन कार्यालय सिरोही नगर पालिका को इस संबंध में काॅलोनीवासियों ने कई बार पत्राचार किया। लेकिन, आज तक उन्हें अपनी फेसिलिटी की जमीन नहीं मिली।