आरएसएस कार्यालय में साधु अवधेशानंद की हत्या के मामले में तत्कालीन प्रचारक को उम्रकैद

सिरोही में हत्या से पहले गांधी उद्यान में शाखा लगाते अवधेशानंद। फाइल फोटो

सबगुरु न्यूज-सिरोही। जिला एवं सेशन न्यायाधीश रूपा गुप्ता ने अवधेशानंद हत्याकांड के मामले में अभियुक्त तत्कालीन जिला प्रचारक उत्तमगिरी को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस मामले में सिरोही पुलिस ने आरएसएस के तत्कालीन जिला प्रचारक उत्तमगिरी को गिरफ्तार किया था। करीब सात साल चले ट्रायल के बाद बुधवार को जिला न्यायाधीश ने इसे निर्मम हत्या बताते हुए उत्तमगिरी को अवधेशानंद की हत्या का दोषी मानते हुए उम्रकैद और दस हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। इस जजमेंट की प्रति जिला न्यायालय ने गुरुवार को जिला न्यायलय की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है।

विधानसभा चुनावों की सरगर्मी के बीच 2018 में 11 नवम्बर की शाम को को सिरोही के शांति नगर स्थित आरएसएस के जिला कार्यालय में हमला होने की सूचना शहर में फैली। इस हमले में जिला प्रचारक और एक अन्य व्यक्ति के घायल होने की सूचना मिली। इस पर पुलिस ने वहां पहुंचकर कार्यालय का दरवाजा खोला तो कमरे में अवधेशानंद का शरीर लहुलुहान हालत में एक कोने में पडा हुआ था। एंबुलेंस को बुलवाया तो उसके कार्मिक ने उन्हें मृत बताया। पुलिस के पहुंचने के साथ ही अन्य कई लोग भी वहां पहुंच गए थे।

सिरोही में 11 नवंबर 2018 को आरएसएस कार्यालय में हत्या की सूचना मिलने पर पहुंची। फाइल फोटो

इस घटना के दूसरे दिन दोपहर को करीब 1.10 बजे पुलिस निरीक्षक रामप्रतापसिंह ने रपट अंकित की कि 11 नवम्बर 2018 को रात्रि करीब 8 बजे सिरोही के शांतिनगर स्थित संघ कार्यालय में घटना की सूचना मिलने पर थानाधिकारी मय जाब्ता राजकीय चिकित्सालय सिरोही व संघ कार्यालय शान्तिनगर सिरोही पहुंचे। घटना कें संबंध मे  जानकारी प्राप्त की। झगडे में शामिल उत्तमगिरी के बयान देने की स्थिति में नहीं होने के कारण प्राथमिक उपचार के बाद अग्रिम ईलाज के लिए पुलिस सुरक्षा मे उदयपुर रेफर किया। रिपोर्ट में लिखा कि घटना की अन्य जानकारी प्राप्त करने के लिए संघ कार्यालय शान्तिनगर सिरोही पहुचे। जहां पर साधु वेश धारी एक व्यक्ति कमरे में मरणासन अवस्था में मिला। इस पर 108 एम्बुलेंस मौके पर बुलवाया गया। एम्बुलेंस स्टाफ ने उक्त व्यक्ति को मृत बताया गया।

रिपोर्ट में लिखा कि मृतक के बारे मे जानकारी प्राप्त की तो मृतक का नाम साधु अवधेशानन्द होना सामने आया। जो सिरोही में एकल विद्यालय नाम की संस्था चलाता था। मृतक साधु अवधेशानन्द का शव चित अवस्था में दीवार से सटा हुआ खून से लथपथ था। बदन पर जगह-जगह चोटे लगने से खून निकल कर फर्श दीवार व नीचे बिछीे दरी पर फैला हुआ मिला। गर्दन में दाहिनी तरफ लम्बा कटनुमा रक्त रंजित घाव, दाहिने कान, नाक, सिर, दाहिने हाथ की भुजा पर लम्बा कटनुमाघाव था। दाहिने गाल पर चोट व सीने में घाव लगे हुए पाये गये।

घटनास्थल का ब्योरा देते हुए रिपोर्ट में लिखा गया कि मृतक के बांए हाथ की ढीली मुट्ठी में एक छोटा धारदार चाकू रखा पाया। मृतक के पैरों के पास एक छोटी लाठी जो खून से सनी हुई, मृतक के बदन पर भगवे रंग की बनियान व लुंगी पाई गयी। घटनास्थल कमरे व उससे लगते कमरे में पक्के फर्श पर खून के छींटे व संघर्ष के निशान पाये गये। घटना के बारे में उच्चाधिकारियों व पीसीआर को अवगत करवाया।

इस रिपोर्ट के बाद पाली के खिवाडी संघ कार्यालय के शांतिलाल ने सिरोही थाने में एक रिपोर्ट दर्ज करवाई। इसमें उसने बताया गया कि उसे संघ कार्यालय में झगडे बाबत् सूचना मिली तो वो वहां पहुंचे। इस हमले में घायल हुए जिला प्रचारक उत्तमगिरी ने अवधेशानन्द द्वारा संघ कार्यालय में तैयारी के साथ अनाधिकृत प्रवेश कर चाकू से उन पर प्राण घातक जानलेवा हमला कर गम्भीर चोटें पहुॅचाने की बात कही थी। इस रिपोर्ट में बताया गया कि हमले के समय दो अन्य व्यक्ति भी वहीं थे।

सिरोही में 11 नवंबर 2018 को संघ कर्यालय में साधु अवधेशानंद की हत्या के बाद जिला चिकित्सालय में तैनात पुलिस बल। फाइल फोटो

-पुलिस अधिकारियों के लिए था हाईली सेंसेटिव मामला

उस समय प्रदेश में वसुंधरा राजे की सरकार थीं। चुनावी माहौल था। जब ये चर्चा फैली कि संघ कार्यालय में किसी ने हमला किया है और उसमें एक साधु की मौत हो गई। ये सूचना ही झकझोरने वाली थी तो पुलिस चौकन्नी हो गई। पुलिस अधीक्षक जय यादव भी तुरंत घटनास्थल पर पहुचे। मामला संघ कार्यालय का था तो आरएसएस और भाजपा के कार्यकर्ता और नेता भी पहुंचे। अगले दिन आईजी भी इस घटना की जानकारी मिलने पर सिरोहीे पहुंचे। दूसरे दिन इस मामले की निष्पक्ष जांच को लेकर मोर्चरी पर पुलिस अधिकारियों को ज्ञापन भी दिया और आक्रोश भी जताया। इस मामले में पुलिस अंततः आरएसएस के तत्कालीन जिला प्रचारक उत्तमगिरी को गिरफ्तार कर लिया।

सिरोही में संघ कार्यालय में अवधेशानंद की हत्या के दूसरे दिन 12 नवंबर को मोर्चरी में पुलिस को ज्ञापन देते अवधेशानंद के फॉलोवर्स। फाइल फोटो

– 55 पेज का निर्णय

अवधेशानंद की संघ कार्यालय में हत्या के परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के अनुसार पुलिस ने आरएसएस के तत्कालीन जिला प्रचारक उत्तमगिरी को गिरफ्तार कर लिया था। ट्रायल के बाद जिला एवं सेशन न्यायाधीश रूपा गुप्ता के द्वारा सुनाए गए 55 पेज के निर्णय के अनुसार प्रकरण में करीब 37 गवाह प्रस्तुत हुए। इनमे से कुछ को पक्षद्रोही माना गया। महत्वपूर्ण गवाह के दिए गए बयान व अन्य सबूतों के आधार पर न्यायाधीश ने ये निर्णय सुनाया। इसमें मोबाइल सीडीआर, मौके पर मिले साक्ष्य, खून के निशान आदि के प्रकाश में उत्तमगिरी को इस हत्या को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई।

-इसलिए दी उम्रकैद की सजा

न्यायालय ने आरएसएस के तत्कालीन जिला प्रचारक बाडमेर निवासी उत्तमगिरी को दोषी करार दिया। न्यायालय ने लिखा कि अभियुक्त उत्तमगिरी एवं उसके अधिवक्ता के सामने सजा को बिन्दु वार सुनाया गया। अभियुक्त ने यह निवेदन किया कि वह गरीब व नौजवान है। यह उसका प्रथम अपराध है तथा वह लंबे समय से अन्वीक्षा भुगत रहा है और जिन तथ्यों एवं परिस्थितियों में आरोपित अपराध हुआ है उसे दृष्टिगत रखते हुए अभियुक्त के प्रति नरमी का रूख बरता जावे। इसके विपरीत लोक अभियोजक लक्ष्मणसिंह बाला ने अभियुक्त के इन तर्को का खण्डन करते हुए कठोर दण्ड से दंडित करने का निवेदन किया।

न्यायाधीश ने निर्णय में लिखा कि दोनों पक्षों के तर्को को सुना एवं उन पर विचार कर पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया। न्यायालय ने माना कि संपूर्ण साक्ष्य के अनुसार अभियुक्त उत्तमगिरी ने आपसी रंजिश के चलते अवधेशानंद की चाकू से उसके शरीर पर 30 से 40 घाव मारकर हत्या की है। इस प्रकार अभियुक्त उत्तमगिरी ने साशय अवधेशानंद की हत्या कारित की। अभियुक्त उत्तमगिरी द्वारा जिस प्रकार की निर्मम हत्या की गयी है उससे अभियुक्त के प्रति नरमी का रूख अपनाया जाना न्यायोचित नहीं है। घटना की निर्ममता को देखते हुए न्यायालय ने आरएसएस के तत्कालीन जिला प्रचारक उत्तमगिरी को अवधेशानंद की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा और दस हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।